प्रमोद सिन्हा/खंडवाः आजादी के अमृत महोत्सव की धूम पूरे देश में दिखाई दे रही है. देश के बड़े-बड़े संस्थान तिरंगे की रोशनी से जगमग हो रहे हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा इंदिरा सागर बांध (Indira Sagar Dam) भी तिरंगे की रोशनी से नहाया हुआ है. इंदिरा सागर बांध का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें पूरे बांध पर तिरंगे के रंग की लाइटें लगी हुई हैं और इनकी रोशनी से नर्मदा नदी का पानी तिरंगामय दिखाई दे रहा है. इंदिरा सागर बांध का यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है. 


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इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने रखी थी नींव
इंदिरा सागर बांध की नींव 23 अक्टूबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रखी थी. खास बात ये है कि इंदिरा सागर बांध का भूमि पूजन कार्यक्रम इंदिरा गांधी का आखिरी सार्वजनिक कार्यक्रम था क्योंकि इसके महज 8 दिन बाद ही उनकी हत्या कर दी गई थी. इस बांध के भूमि पूजन के 10 साल बाद इसका काम शुरू हो सका था और साल 2005 में इस बांध ने काम करना शुरू कर दिया था. 


एमपी के लिए बेहद अहम
इंदिरा सागर बांध एमपी की लाइफ लाइन मानी जाने वाली नर्मदा नदी पर बना है. खंडवा जिले की पुनासा तहसील में यह बांध बना है. राज्य के विकास में इस बांध की अहम भूमिका है. किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने के साथ ही यहां 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होता है. इस बांध के पानी से खंडवा, खरगोन, देवास, धार और बड़वानी जिलों में लाखों हेक्टेयर खेती की सिंचाई की जाती है. इस बांध के चलते मध्य प्रदेश के मालवा और निमाड़ क्षेत्र के किसानों के जीवन में खुशहाली आई है और किसानों की आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ है. 


4000 करोड़ से ज्यादा है निर्माण लागत
इंदिरा सागर बांध का निर्माण प्रदेश सरकार और एनएचपीसी के ज्वाइंट वेंचर से बनी कंपनी नर्मदा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डेवलेपमेंट कारपोरेशन ने किया था. उस समय इस बांध के निर्माण में 4355 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इंदिरा सागर बांध को देश के सबसे बड़े जलाश्य वाला बांध माना जाता है. इसकी ऊंचाई 92 मीटर और लंबाई 653मीटर है. इस बांध के जलाश्य में 914 वर्ग किलोमीटर पानी भराव क्षेत्र है. इस बांध की क्षमता 12.7220 घन किलोमीटर है. वहीं कैचमेंट एरिया 61642 वर्ग किलोमीटर है. 


इंदिरा सागर बांध एमपी की लाइफ लाइन नर्मदा नदी पर बना मुख्य बांध है. यही बांध पूरी नर्मदा नदी के पानी को नियंत्रित करता है. यहां से छोड़ा गया पानी आगे ओंकारेश्वर बांध में जाता है और उसके बाद गुजरात के सरदार सरोवर बांध में पहुंचता है. इसे ना सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे मध्य भारत का मुख्य बांध माना जाता है.