सुधीर दीक्षित/इंदौरः सुविधाएं पाकर सफलता पाने वाले बहुत से लोग होते हैं लेकिन कुछ विरले ऐसे भी होते हैं, जिनसे जिंदगी बहुत संघर्ष कराती है लेकिन वह सब मुश्किलों को पीछे छोड़कर ऊंचाईयों पर पहुंचते हैं. ऐसा ही एक गुदड़ी का लाल है इंदौर का राज वर्मा. बता दें कि राज वर्मा मूक बधिर है और वह इस साल मई में ब्राजील में होने वाले मूक बधिर ओलंपिक गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करेगा. राज 55 किलोग्राम ग्रीको रोमन कुश्ती में चुनौती पेश करेगा. 


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मुश्किलों भरा रहा जीवन
राज वर्मा का ओलंपिक तक का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है. एक गरीब परिवार में जन्मे राज की मां की मृत्यु साल 2016 में हो गई थी. इसके बाद साल 2020 में पिता का भी देहांत हो गया. ऐसे में घर की जिम्मेदारी राज के कंधों पर आई तो उसने अपने और अपने भाई का पेट पालने के लिए सब्जी का ठेला लगाना शुरू कर दिया.  


हालांकि सड़क चौड़ीकरण के नाम पर नगर निगम ने उसका ये ठेला भी हटा दिया. राज का छोटा भाई अमन भी मूक बधिर है और ना सुन सकता है और ना बोल सकता है.


अब राज का सलेक्शन मूक बधिर ओलंपिक के लिए हुआ है. जिसकी तैयारियों के लिए राज रोजाना 5-6 घंटे प्रैक्टिस करता है और कुश्ती के दांवपेच आजमाता है. राज अब अपने चाचा के परिवार के साथ रहता है और राज की उपलब्धियों पर पूरे परिवार को गर्व है. घर की माली हालत ठीक नहीं है, ऐसे में राज की खुराक परिवार के सदस्यों की कमाई और अखाड़े से मिले घी और बादाम से पूरी होती है. 


राज के भाई को प्रशासन से शिकायत है कि उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिली है. हालांकि लाख मुश्किलों के बावजूद राज के परिजन उसका हौसला बढ़ाने में जुटे हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि राज ब्राजील से चैंपियन बनकर लौटेगा.