संजीत यादव/जशपुरः आज विश्वभर में विश्व आदिवासी दिवस (World Indigenous People Day) मनाया जा रहा है. देश में इसे लेकर कई आयोजन हो रहे हैं लेकिन जिन लोगों के लिए यह आयोजन किया जा रहा है, उनमें से ही कुछ आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. बता दें कि जशपुर जिले की विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा (Pahari Korwa) आज अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है. इस जनजाति के संरक्षण के लिए शासन द्वारा कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन आज भी इनकी बड़ी आबादी इन सरकारी योजनाओं से वंचित है. 


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दरअसल साल 2015-16 में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति बिरहोर और पहाड़ी कोरवाओं का सर्वे किया था. सर्व के बाद इनकी सूची प्रकाशित की गई. इस सूची में कई पहाड़ी कोरवाओं का नाम छूटा हुआ है और कई गैर पहाड़ी कोरवाओं को इस सूची में शामिल कर लिया गया है. इस लापरवाही के चलते कई पहाड़ी कोरवा आज भी अपने अधिकारों से वंचित हैं. 


पहाड़ी कोरवा विकास अभिकरण के अध्यक्ष मनकुमार राम की शिकायत पर जिला कलेक्टर ने संचालक आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान को पत्र लिखकर सर्वे की सूची को अपडेट करने को कहा है. हालांकि इसके बावजूद शासन द्वारा अभी तक पहाड़ी कोरवाओं की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया है. जिसे लेकर पहाड़ी कोरवा वर्ग में नाराजगी भी है. पहाड़ी कोरवा वर्ग में कई लोग ऐसे भी है, जिनके आधार कार्ड भी नहीं बन पाए हैं. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान कई परिवार ऐसे भी रहे जिन्हें राशन भी नहीं मिल पाया.


बता दें कि यह जनजाति विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर और जशपुर जिलों में निवास करती है. इनकी आबादी बेहद कम है और इनकी एक खास संस्कृति है. यह जनजाति आज भी प्रकृति के साथ अटूट रिश्ता रखे हुए है और पूरी तरह से जंगल पर निर्भर करती है.