International Women`s Day: MP की इस महिला ने जैविक खेती में पाया नया मुकाम, कृषि मंत्री से भी मिला सम्मान, पढ़ें प्रेरक कहानी
International Women`s Day 2023: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले की ललिता मुकाती 10 साल से जैविक खेती कर एक मिसाल कायम कर रही हैं और इसके लिए उन्हें कृषि मंत्री का सम्मान भी मिला है.
वीरेंद्र वासिंदे/बड़वानी: कहते हैं आदमी की तस्वीर और तकदीर उसकी हाथ की लकीरें नहीं बल्कि मेहनत सवारती है. बड़वानी जिले के छोटे से गांव बोरलाई (Borlai in Barwani district) में रहने वाली ललिता मुकाती ने ऐसा ही कर दिखाया है. ललिता पिछले 10 वर्षों से ऑर्गेनिक खेती कर मिसाल पेश कर रही हैं...
बीए तक की पढ़ाई कर चुकी ललिता आम ग्रहणी हैं, लेकिन जब उसके बच्चे बड़े हो गए तो पति के साथ खेती में हाथ बटाने का निर्णय लिया. कुछ साल रासायनिक खेती करने के बाद लोगों को बीमारियों से परेशान होता देख जैविक खेती करने का निर्णय लिया. पहले दो से 3 एकड़ में जैविक खेती शुरू की समय के साथ-साथ अनुभव बढ़ता गया. अपनी मेहनत और लगन के बल पर आज 40 एकड़ की जमीन पर आम,सीताफल,नींबू,आंवला चीकू,गेहूं और,डॉलर चना, तरबूज की खेती कर रहे हैं.
कई पुरस्कार प्राप्त किए
ललिता द्वारा अपनी इस उपलब्धि को सरकार और विभिन्न संगठनों ने सराहा भी है और वर्ष 2018 में दिल्ली में आईसीआर (भारतीय राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र) द्वारा आयोजित कार्यक्रम कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा हलदर ऑर्गेनिक अवार्ड से सम्मानित किया. इसके साथ ही वर्ष 2019 में नई दिल्ली में पूषा अनुसंधान कृषि मेले में दिल्ली में इनोवेटिव फार्मर के रूप में अवार्ड भी मिल चुका है. 2019 में ग्वालियर में राज माता विजया राजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सम्मानित किया गया. ललिता बताती है कि उनके खेत में जैविक खेती का प्रशिक्षण लेने और जानकारी प्राप्त करने के लिए खंडवा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित कई अलग-अलग क्षेत्रों से कृषक और एनजीओ से जुड़े लोग भी जानकारी लेने प्रशिक्षण लेने के लिए आते हैं. ललिता बताती है कि रासायनिक और जैविक खेती में बड़ा अंतर खर्चा आता है. अगर 1 एकड़ खेती रासायनिक तौर पर की जाए तो खर्च 30 हजार प्रति एकड़ तक होता है. वहीं जैविक खेती में मात्र 5 हजार का खर्चा आता है. बता दें कि अगर कमाई की बात करें तो रासायनिक की तुलना में जैविक खेती में 20% से अधिक मुनाफा होता है. वहीं जैविक खेती का माल बेचने में आसानी होती है.जैविक खेती के माध्यम से उनकी सालाना इनकम रासायनिक खेती के मुकाबले दुगनी हो चुकी है.