सत्य प्रकाश/रायपुरः केंद्र सरकार ने आईपीएस मुकेश गुप्ता को बड़ी राहत देते हुए उनका निलंबन खत्म कर दिया है. मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है. बता दें कि आईपीएस मुकेश गुप्ता साल 2019 से निलंबित चल रहे थे. दरअसल आईपीएस मुकेश गुप्ता पर चर्चित नान घोटाले में फर्जीवाड़े और फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. 


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बता दें कि नान घोटाले का खुलासा होने और इसमें आईपीएस मुकेश गुप्ता की कथित संलिप्तता सामने आने के बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था. हालांकि इस फैसले के खिलाफ आईपीएस मुकेश गुप्ता सुप्रीम कोर्ट और कैट भी गए. बीती 17 अगस्त को आईपीएस मुकेश गुप्ता ने गृह विभाग में सस्पेंशन खत्म करने का आवेदन दिया था. जिस पर गृह विभाग ने राहत देते हुए मुकेश गुप्ता के निलंबन को खत्म कर दिया है. गुप्ता के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज हैं. आईपीएस मुकेश गुप्ता इसी महीने के आखिर में रिटायर होने वाले हैं, उससे पहले सस्पेंशन खत्म होना उनके लिए बड़ी राहत मानी जा रही है. 


क्या है नान घोटाला
नागरिक आपूर्ति निगम राज्य भर में लाखों परिवारों को राशन बांटने का काम करता है. 12 फरवरी 2015 को ईओडब्लू ने नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर करोड़ों रुपए बरामद किए थे. ईओडब्लू ने नागरिक आपूर्ति निगम पर राशन बांटने में फर्जीवाड़े का आरोप लगाए और शुरुआत में 27लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. आरोप है कि नागरिक आपूर्ति निगम (नान) ने छत्तीसगढ़ में राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल खरीदा और इसके बदले करोड़ों रुपए की रिश्वतखोरी की गई. साथ ही नागरिक आपूर्ति निगम पर राशन की ट्रांसपोर्टेशन में भी धांधली का आरोप लगाया गया. 


नान घोटाले के वक्त ईओडब्लू (आर्थिक अपराध शाखा) के मुखिया रहे विशेष पुलिस महानिदेशक मुकेश गुप्ता पर आरोप लगा कि उन्होंने मामले की जांच के दौरान नेताओं- अफसरों के फोन टैप करवाए और झूठे दस्तावेज तैयार कर षड़यंत्र रचा. इसके बाद 2019 में मुकेश गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था. नान घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगे और ई़डी ने मामले की जांच शुरू कर दी थी. ईडी ने मामले में कई जगह छापेमारी भी की थी.