सिर्फ चांद ही नहीं अब ISRO इन ग्रहों के लिए भी भरेगा उड़ान, जानिए भविष्य के बड़े मिशन
इसरो की कई परियोजनाएं है जो आने वाले समय में लॉन्च होने वाली है. उम्मीद है कि चंद्रयान 3 आगामी 23 अगस्त को अपनी सफलता के रुप में इतिहास रचेगा. इसरो की भावी बड़ी परियोजनाओं की संक्षिप्त जानकारी जिससे ये समझने में आसानी होगी कि भारत इन सब प्रक्षेपणों से क्या उपलब्ध करेगा.
ISRO Future Space Explorations: इसरो (ISRO) द्वारा ऐसे कई परियोजनाएं लॉन्च की गई है जिसने भारत के खाते में कई नामी उपलब्धियों को दर्ज किया है. इसरो एकमात्र ऐसा अंतरिक्ष संगठन है जो बाहरी दुनिया यानि स्पेस को भी प्रदुषण मुक्त रखने के प्रयास में रहता है.आइए जानते है इसरो द्वारा किए जाने वाले प्रक्षेपणों को-
1. गगनयान मिशन : इस मिशन के अंतर्गत तीन अंतरिक्ष अभियान कक्षा में भेजे जाएंगे. इन 3 अभियानों में 2 मानवरहित जबकि एक मानवयुक्त होगा. इस मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम में एक महिला सहित तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगें. इस लॉन्च के साथ भारत अमेरिका, चीन ,रूस आदि राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा.
2. शुक्रयान मिशन : शुक्रयान मिशन एक ऑर्बिटर मिशन होगा. ग्रह के चारों ओर बादलों के बावजूद शुक्र की सतह की जांच करेगा. मिशन में शुक्र ग्रह की भू-वैज्ञानिक और ज्वालामुखीय गतिविधि, जमीन पर उत्सर्जन, हवा की गति, और अन्य ग्रहों की विशेषताओं का अध्ययन करने की उम्मीद है.
उद्देश्य-वायुमंडल की संरचना, उसकी गतिशीलता का अध्ययन करना और इसके अलावा शुक्र आयनमंडल के साथ सौर पवन संपर्क की भी जांच करना है.
3. आदित्य एल 1 मिशन: इसका मिशन का उद्देश्य सूर्य का नजदीक से निरीक्षण और इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करना होगा.
महत्व- सोलर सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव, उपग्रह की कक्षा और उसके जीवन को बाधित कर सकते हैं. इसके साथ ही पृथ्वी पर इलेक्ट्रॉनिक संचार को भी बाधित कर सकते हैं. इसलिये अंतरिक्ष के वातावरण को समझने के लिये सौर घटनाओं का ज्ञान होना महत्त्वपूर्ण है.
चुनौती - सूर्य से संबंधित मिशनों के लिये सबसे बड़ी चुनौती पृथ्वी से सूर्य की दूरी है, इसके अतिरिक्त सौर वातावरण का अत्यधिक तापमान एवं विकिरण महत्त्वपूर्ण चुनौतियां हैं. हालांकि आदित्य एल 1 सूर्य से बहुत दूर स्थित होगा.
4. मंगलयान 2 : यह मिशन भारत के अपने पहले मंगलयान मिशन की सफलता के बाद लॉन्च करने की घोषणा की गई थी. इस मिशन को 2024 में लॉन्च किया जाएगा. यह मिशन अपने साथ में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर ले कर जाएगा. इस मिशन के लिए 2016 में इसरो और फ्रांन्स ने साथ में मंगलयान के निर्माण के लिए करार पर हस्ताक्षर किया था पर बाद में 2018 में फ्रांस इस परियोजना से बाहर हो चुका था.