MP में नकली बैंक खोलकर बेरोजगार युवाओं के साथ धोखा, वेतन से प्रमोशन तक सब नकली
Jhabua District: मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में नकली बैंक के नाम पर बेरोजगार युवाओं के साथ धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है.
अब तक आपने नकली नोटों के मामले तो खूब सुने होंगे, लेकिन अब मार्केट में अब नकली बैंक भी आ गए हैं, जो लोन देने के नाम पर लोगों के साथ ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इसके अलावा
बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर भी धोखाधड़ी की जा रही है. मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां कुछ बदमाशों ने फिल्मी स्टाइल में नकली बैंक खोलकर लोन और नौकरी के नाम पर युवाओं को जमकर चूना लगाया है. बताया जा रहा है कि इस गिरोह की चैन झारखंड से लेकर गुजरात तक फैली हुई थी. मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य मास्टरमाइंड अभी फरार है.
झाबुआ में फर्जी बैंक के नाम पर धोखाधड़ी
दरअसल, झाबुआ शहर में फर्जी बैंक का एक मामला झाबुआ कोतवाली में दर्ज हुआ है. बताया जा रहा है कि शहर में 10 दिन पहले एक बैंक खोला गया, जिसकी तीन ब्रांचें झाबुआ शहर के अलावा जोबट और थांदला में भी खोली गई थी, जहां एरिया मैनेजर, सर्कल मैनेजर और मैनेजर समेत दूसरी कई पोस्टों पर युवाओं को भर्ती किया गया था. लेकिन इन लोगों ने बताया कि वो दूसरी माइक्रो फाइनेंस कंपनियों में नौकरी कर रहे थे, लेकिन नए बैंक वालों ने पहले से अधिक वेतन देने का कहकर नौकरी पर रखा था. लेकिन जब बैंक के फर्जी होने का खुलासा हुआ तो सब हैरान रह गए और तुरंत ही मामले की जानकारी पुलिस को दी.
झारखंड का मुख्य मास्टरमाइंड
झाबुआ जिले में नकली बैंक के नाम पर हुए इस पूरे खेल का कर्ताधर्ता अखिलेश नाम का व्यक्ति है, जो मूल रूप से झारखंड का बताया जा रहा है. इसके अलावा गुजरात के अंकित पटेल और मेहुल पटेल झाबुआ ब्रांच में काम करते थे. इन दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. ठगी का शिकार हुए युवाओं ने बताया कि इनके अलावा उत्तर प्रदेश का सरफराज, आरिफ, राजस्थान का राजेश और गुजरात का झील पटेल भी इस मामले में शामिल था. 14 नवंबर को जोबट में भी ब्रांच की शुरुआत की गई थी, रंभापुर क्षेत्र के एजेंट ने बताया, वो एक फाइनेंस कंपनी में 12 हजार रुपए में काम करता था, लेकिन इन लोगों ने 17 हजार वेतन देने की बात कही और कुछ ही दिनों में प्रमोशन का वादा भी किया था.
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समूह बनाकर पैसे निकालने थे
एजेंटों ने बताया, समूह लोन के लिए लोगों को जोड़ना था, हर समूह में 11 महिलाओं को शामिल करना था और उनके बचत खाते 1550 रुपए में खोले जाने थे. समूह के सभी सदस्यों के खाते खुलने के बाद हर महिला को 70-70 हजार रुपए लोन देने की बात कही गई, यानी एक समूह को 7 लाख 70 हजार रुपए का लोन देने का लालच दिया गया. एजेंटों ने बताया उन्होंने ऐसा ही किया लेकिन अभी तक किसी भी समूह को लोन नहीं दिया गया है, जबकि कई समूह पूरे बन चुके थे और उनके बचत खाते भी खुले थे. हमने अखिलेश से कहा भी था कि कुछ समूहों को लोन दे दें तो लोगों का भरोसा बनेगा, लेकिन वो लगातार टालते रहे, जब लोन नहीं मिला तब फर्जी बैंक का खुलासा हुआ.
झाबुआ पुलिस ने जब बैंक पर दबिश दी तो दो लोग पकड़ में आए और बाकी के भाग गए, यहां मिले दस्तावेजों में जेएच कैश बीन निधि लिमिटेड का नाम मिला, संस्था के फॉर्म में हेड ऑफिस झारखंड के गोड्डा जिले के रामनगर में बताया जा रहा है. फर्जी बैंक के कर्ताधर्ताओं ने तीन कार किराए पर ली थी, इनके मालिकों से एग्रीमेंट किए और उनसे कहा कि ड्राइवर की जरूरत हमें नहीं है. हम खुद की व्यवस्था कर लेंगे. जब सोमवार को पुलिस पहुंची तो मुख्य आरोपी सहित अन्य लोग ये तीनों कार लेकर फरार हो गए, देर रात एक कार दाहोद रेलवे स्टेशन, एक मेघनगर रेलवे स्टेशन और एक झाबुआ बायपास पर मिली है. एक एजेंट मुकेश अमलियार ने बताया, उसकी बाइक भी उन लोगों के पास थी जो वो अपने साथ ले गए, पुलिस अखिलेश और अन्य लोगों की सही पहचान और उनके रहने की जगह का पता कर रही है.
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