केंद्रीय मंत्री सिंधिया देर रात पहुंचे उज्जैन, संघ प्रचारक स्व. गोपाल राव जी को दी श्रद्धाजंली
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार की रात करीब 10 बजे उज्जैन पहुंचे. यहां उन्होनें संघ के वरिष्ठ प्रचारक वनवासी कल्याण आश्रम व राष्ट्रीय सिख संगत के अलग-अलग दायित्वों पर रहे गोपाल राव जी येवतीकर को संघ कार्यालय पहुंच कर श्रद्धांजलि दी.
राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया रात 10 बजे करीब नगरी में परिवार के साथ सीधा शहर के मालीपुरा क्षेत्र स्थित संघ के आराधना भवन आरएसएस कार्यालय पहुंचे, जहां उज्जैन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक वनवासी कल्याण आश्रम, राष्ट्रीय सिख संगत के विभिन्न दायित्वों पर रहे स्व गोपाल राव जी येवतीकर के दुःखद निधन पर श्रद्धांजलि दी. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने श्रद्धांजलि अर्पित कर कहा कि गोपाल राव जी से मेरा पारिवारिक रिश्ता था, राजमाता के साथ काफी लंबा वक्त उन्होंने बिताया परिवार के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. मेरे लिए यह एक व्यक्तिगत क्षति है और यही मेरा उज्जैन प्रवास का आज का कार्यक्रम था, बता दें कि गोपाल राव जी के निधन के दिन सीएम शिवराज गोपाल राव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे.
कौन थे गोपालराव जी कब हुआ था निधन जानिए
30 नवंबर की अल सुबह संघ के वरिष्ठ प्रचारक गोपाल राव येवतीकर का निधन हो गया था, जिन्हें उज्जैन स्थित आराधना संघ कार्यालय में श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सीएम सहित आरएसएस के कई पदाधिकारी नेता मंत्री गोपाल राव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे थे. महानगर प्रचार प्रमुख धर्मेन्द्र सिंह परिहार ने बताया कि संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे हैं, स्वर्गीय गोपाल राव जी येवतीकर कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे, गोपाल जी का जन्म चार अक्टूबर 1937 में इंदौर में हुआ था और 1961 में अपना सम्पूर्ण राष्ट्र को समर्पित करने का निश्चय कर संघ के प्रचारक निकले.
जीवन काल मे क्या क्या कार्य किये
गोपाल राव जी के बारे में कहा जाता है उन्हें संघ ने मध्य भारत प्रान्त में कार्य करने को कहा, नर्मदापुरम और भोपाल में गोपाल जी ने बड़ी तन्मयता से एक -एक कार्यकर्ता को गड़ा. गोपाल जी कई परिवारों के सदस्य की भांति ही थे. उनकी आत्मीयता ही थी कि केवल स्वयंसेवक ही नहीं, बल्कि उनके परिवार भी उन्हें दादा, बड़े भाई इत्यादि संबोधनों से संबोधित करते थे, मध्य भारत प्रांत में कार्य करने के पश्चात गोपालजी को पंजाब भेजा गया. जब गोपालजी को पंजाब भेजा गया तब वहां आतंक चरम पर था. गोपालजी ने वहां जाकर तन्मयता के साथ संघ कार्य करना प्रारंभ किया. एक दशक तक उन्होंने पंजाब में कार्य किया. बाद में पुनः मध्य भारत प्रान्त में आकर राष्ट्रीय सिख संगत का मध्यभारत में कार्य किया. विश्व हिंदू परिषद के कार्य विस्तार के लिए भी गोपाल जी ने सतत कार्य किया.