प्रिया पांडे/भोपाल। कमलनाथ 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियों में जुटे हैं, वह लगातार पार्टी पदााधिकारियों के साथ मीटिंग कर फीडबेक ले रहे हैं, तो प्रदेश में कांग्रेस की हर एक मजबूती और कमजोरी पर भी वह काम करवा रहे हैं. लेकिन आज कमलनाथ ने एक बड़ा बयान दिया, उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओ को 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए सख्त संदेश दिया है, इसके अलावा कमलनाथ ने पार्टी की गुटबाजी पर भी अहम प्रतिक्रिया दी है. 


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गुटबाजी से काम नहीं चलेगा: कमलनाथ 
पीसीसी चीफ कमलनाथ ने पार्टी में गुटबाजी की बात स्वीकार करते हुए कार्यकर्ताओं और नेताओं को गुटबाजी को लेकर दो टूक राय दी, उन्होंने कहा कि ''आखिरी 11 महीने में गुटबाजी से काम नहीं चलेगा, हमें 2023 के लिए हाथ जोड़ना पड़े तो हाथ जोड़ों, पैर पड़ना पड़े तो पैर पड़ों, सर झुकाना पड़ेगा तो सर झुकाओ. लेकिन काम करो, 11 महीने के लिए डायरी बनाओ, हफ्तेवार तय करो क्या करना है, अगर आप आराम करना चाहते हैं बता दीजिए मैं भी आराम कर लूंगा, क्योंकि ये निष्ठा की अग्निपरीक्षा है.''


हमें इस परिवर्तन को स्वीकार करना होगा
कमलनाथ ने कहा कि ''नगरीय निकाय चुनाव में बीजेपी ने पुलिस प्रशासन और पैसे का नंगा नाच किया, इसलिए आपका मुकाबला बीजेपी से नहीं था, पुलिस प्रशासन और पैसे से था. निकाय चुनाव केवल रिहर्सल था, मैं 42 चुनाव लड़ चुका हूं, पहले हम एक घर पर हाथ रख कर कह सकते थे कि यह कांग्रेस का वोटर है. लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं, अब एक ही घर के हर सदस्य का अलग-अलग वोट है, हमें इस परिवर्तन को स्वीकार करना होगा.''


इस दौरान कमलनाथ ने बीजेपी की तारीफ करते हुए कहा कि ''आज से 25 से 30 साल पहले भाजपा के पास बूथ में बैठने के लिए कार्यकर्ता नहीं थे, गांवों के बूथों में शहर से कार्यकर्ताओं को भेजा जाता था बैठने के लिए, लेकिन आज देखिए स्थिति बदल गई हैं, इसलिए जब मैं 100 से 200 लोगों से मुलाकात करता हूं तो आप भी लोगों से मिलिए मुलाकात करिए.'' दरअसल, आज कमलनाथ ने नगरीय निकाय चुनाव में जीते हुए नेताओं का स्वागत किया. इस दौरान उन्होंने सभी से 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने की बात कही है. 


बता दें कमलनाथ 2023 के विधानसभा चुनाव में कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं, इसलिए वह अभी से पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी मोड में जाने के लिए कह रहे हैं. क्योंकि अब विधानसभा चुनाव में 1 साल का ही समय बचा है. 


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