2023 के लिए कांग्रेस का मास्टर प्लान! बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाएंगे कमलनाथ
कमलनाथ आज रीवा दौरे पर है और वह यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके अलावा वह पार्टी कार्यकर्ताओं से भी चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे.
प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ अभी से ही चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं.भाजपा को पटखनी देने के लिए कमलनाथ ने एक खास प्लान बनाया है, इसके तहत कांग्रेस, भाजपा का गढ़ माने जाने वाले विंध्य क्षेत्र पर खास फोकस कर रही है.
विंध्य क्षेत्र में फिसले जनाधार को फिर से पाने के लिए कांग्रेस की तरफ से खुद कमलनाथ मोर्चा संभाल रहे हैं. बता दें कि कमलनाथ आज रीवा दौरे पर है और वह यहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके अलावा वह पार्टी कार्यकर्ताओं से भी चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे. कमलनाथ रीवा के मनभावन में मंडलम, सेक्टर, बूथ इकाइयों के पदाधिकारियों से भी मिलेंगे.
क्यों अहम है विंध्य
बता दें कि विंध्य क्षेत्र में विधानसभा की 30 सीटें आती हैं. यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है. अभी इन 30 सीटों में से 24 पर बीजेपी का कब्जा है, वहीं कांग्रेस के पास 6 सीटें हैं. कुछ जगहों पर बसपा का भी अच्छा खासा प्रभाव है. बीते कुछ समय में यहां कांग्रेस का जनाधार तेजी से कम हुआ है. हालांकि बीते उपचुनाव में रैगांव सीट पर जीत से कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है. यही वजह है कि कमलनाथ का फोकस है कि विंध्य क्षेत्र में फिर से पार्टी को मजबूत किया जाए.
विंध्य जोन में 7 जिले आते हैं, जिनमें सतना, रीवा, सीधी, शहडोल, सिंगरौली, अनूपपुर और उमरिया शामिल हैं. इनमें से सतना में 7 विधानसभा सीटें, रीवा में 8, सीधी में 4, शहडोल में 3, सिंगरौली में 3, अनूपपुर में 3 और उमरिया में 2 विधानसभा सीटें आती हैं.
विंध्य क्षेत्र में वैश्य वर्ग का खासा प्रभाव है. सतना-रीवा में वैश्य मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. हालांकि यहां निर्णायक वर्ग ब्राह्मणों का है. विंध्य में 26 फीसदी के करीब ब्राह्मण वर्ग के मतदाता हैं. वहीं राजपूत मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं.
विंध्य प्रदेश की उठती रही है मांग
2023 विधानसभा चुनाव में विंध्य प्रदेश इसलिए भी अहम रह सकता है क्योंकि यहां से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी अलग प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश के गठन से पहले विंध्य अलग प्रदेश था.आजादी के बाद 1948 में अलग-अलग रियासतों को मिलाकर विंध्य प्रदेश का गठन किया गया. हालांकि 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही विंध्य प्रदेश को एमपी का हिस्सा बना दिया गया.