विमलेश मिश्रा/मंडला: जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क (world famous Kanha National Park) में चीतल को इस क्षेत्र से उस क्षेत्र में शिप्ट किया जा रहा है, इसे इंटरनल ट्रांसलोकेशन (internal translocation) कहा जाता है. इसका मकसद पार्क के जिस क्षेत्र में चीतल ज्यादा हैं. वहां से दूसरे इलाके में जहां कम मात्रा में चीतल है,वहां शिप्ट करना है. जिससे इनकी संख्या बढ सके इसके लिए यह किया जा रहा है. इसके लिए कान्हा प्रबंधन को करीब 500 चीतलों की परमीशन मिली है. जिसमें अभी प्रबंधन ने करीब 38 चीतलों को मुक्की जॉन से कैप्चर कर पार्क के ही भैसान घाट और अडवार क्षेत्र में भेजे हैं. 


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पिछले 3 दिनों से किया जा रहा चीतल का ट्रांसलोकेशन 
मिली जानकारी के मुताबिक, चीतल का ट्रांसलोकेशन पिछले 3 दिनों से किया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक कान्हा नेशनल पार्क के कोर कोरिया में लगभग 29 हजार चीतल हैं. इसके बाद भी पार्क के कुछ बीट और इलाकों में शाकाहारी चीतलो की संख्या कम है. जिससे उस इलाके में टाइगर्स भी कम हो गए हैं और दूसरी ओर जहां टाइगर को आसानी से चीतल मिल जाता है, उस इलाके में बाघ ज्यादा है. 


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क्यों किया जा रहा है चीतल का इंटरनल ट्रांसलोकेशन?
आपको बता दें कि जहां शाकाहारी चीतलों की संख्या अधिक होती है, वहां बाघ शिकार करने के लिए पहुंचने लगते हैं.ऐसे में बाघों की संख्या एक एरिया में ज्यादा होने की स्थिति में बाघो में आपसी संघर्ष की स्थिति बनती है. बाघों का आवास बढ़ाने और वन्य प्राणियो को संतुलित करने के लिए चीतल का इंटरनल ट्रांसलोकेशन किया जा रहा है.इससे जैव विविधता संतुलन बना रहेगा और बाघों के बीच द्वंद कम होगा.