Kargil Vijay Diwas 2023: चंबल के इन 3 वीरों ने कर दिया था पाकिस्तान का बुरा हश्र, जानिए शौर्य की कहानी
Kargil Vijay Diwas 2023: पाकिस्तान सेना ने कारगिल के ऊंचाई वाले इलाके पर कब्जा कर लिया था, इसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया और फिर भारत ने 60 दिनों में ही पाकिस्तान को खदेड़ दिया.
Kargil Vijay Diwas 2023: बीहड़, बागी और बंदूक के लिए मशहूर या बदनाम मध्यप्रदेश के भिंड जिले के जवानों को साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध में बड़ा योगदान है. चंबल अंचल के वीर सपूतों के साहस, शौर्य और वीरता के दम पर 1999 के कारगिल युद्ध में भारत ने विजय हासिल की थी.
बता दें कि कारगिल की लड़ाई में मध्यप्रदेश के भिंड जिले के 3 जवान शहीद हुए थे. इनमें द्वितीय बटालियन राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट के हवलदार सुल्तान सिंह नरवरिया, लांस नायक करन सिंह और ग्रेनेडियर दिनेश सिंह भदोरिया भी शामिल थे. आज हम आपको भिंड के इन तीन जवानों की शौर्य गाथा बताएंगे.
जानिए सुल्तान सिंह नरवरिया की शौर्य गाथा
16 जून 1960 को गांव पीपरी में जन्में सुल्तान सिंह नरवरिया की शहादत आज भी लोग याद करते हैं. सुल्तान सिंह के बेटे देवेंद्र नरवरिया ने बताया कि जब 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हुई तो पिता घर छुट्टी पर आए थे, लेकिन पापा को सूचना मिलते ही वो तुरंत युद्ध के लिए निकल गए.
बेटे देवेंद्र सिंह के मुताबिक पिता सुल्तान को ऑपरेशन विजय का हिस्सा बनाया गया था. 10 जून को उन्हें एक टुकड़ी का सेक्शन कमांडर बनाया गया. इस टुकड़ी को आदेश दिया गया कि पाकिस्तान सेना द्वारा ली गई तोलोलिंग पहाड़ी द्रास सेक्टर पॉइंट 4590 रॉक एरिया पर बनी चौकी को आजाद कराना है. तब पिता जी 12-13 जून की रात में 0 से भी नीचे तापमान में लड़ते हुए सुल्तान सिंह नरवरिया शहीद हो गए. उन्होंने काफी बहादुरी से युद्ध का सामना किया.
परिजनों ने भी अधिक जानकारी देते हुए बताया कि दुश्मन की तरफ से भारी गोलीबारी हो रही थी लेकिन सुल्तान सिंह भगवान राम का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ते गए. सुल्तान को काफी गोलियां लग चुकी थी, इसके बावजूद उन्होंने 10 पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर किया. तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा झंडा फहरा दिया. हालांकि पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में वे शहीद हो गए.
वीर च्रक से नवाजा गया
सुल्तान सिंह नरवरिया की बहादुरी को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें साल 2002 में मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा था. तब की केंद्र सरकार ने उनके परिवार को जमीन देकर घर भी बनवाया और मेहगाब में पेट्रोल पंप भी दिया है.
शहीद ग्रेनेडियर दिनेश सिंह भदोरिया
वहीं दूसरे वीर जवान भिंड के ही ग्रेनेडियर दिनेश सिंह भदोरिया हैं. जो कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. उन्हें भी मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया है. दिनेश सिंह भदोरिया 31 जुलाई 2000 को कारगिल क्षेत्र में पाकिस्तानियों के घुसपैठ के दौरान हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.
लांस नायक करन सिंह ने लिया लोहा
भिंड जिले के तीसरे जवान करण सिंह ने भी कारगिल युद्ध में देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था. वह सेना की राजपूत रेजीमेंट में भर्ती हुए थे, और कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी घुसपैठियों को करारा जवाब दिया था. 16 नवंबर 1999 कारगिल इलाके में घुसपैठियों से हुई मुठभेड़ में लांस नायक करन सिंह शहीद हो गए थे. करन सिंह को भी मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
शहीद हुए थे भारतीय सेना के 527 जवान
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी युद्ध साल 1999 में कारगिल में लड़ा गया था. 18 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत के सैनिकों ने दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया था. 26 जुलाई 1999 को भारत की जीत की आधिकारिक घोषणा की गई थी. इस कारगिल युद्ध में 527 वीर सपूत शहीद हुए थे.