प्रमोद सिन्हा/खंडवा: शाहिद कपूर की फिल्म विवाह (Vivah film) तो आपने देखी ही होगी, ऐसा ही कुछ खंडवा में महाशिवरात्रि (mahashivratri) के दिन देखने को मिला है. इस विवाह ने न केवल समाज को संदेश दिया बल्कि विवाह के अटूट रिश्ते में पति-पत्नी के बीच भरोसे की नींव भी रख दी. यह विवाह एक अस्पताल (marriege in hospital) में हुआ. जिसमें मरीज बनी दुल्हन (bride) के पलंग पर ही मंडप सजाया गया. दोनों परिवारों के साथ अस्पताल का स्टाफ भी इस शादी समारोह में बाराती बना.


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दरअसल शादी के ठीक 3 दिन पहले सड़क दुर्घटना में दुल्हन का हाथ और पैर फैक्चर हो गया था. शादी की पूरी तैयारियां हो चुकी थी, शादी टाली नहीं जा सकती थी, दुल्हन के पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ था. यही वजह रही कि अस्पताल में पलंग को ही मंडप बना दिया गया और यह शादी हो गई.


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दुल्हन का हुआ एक्सीडेंट
उज्जैन के भेरूघाट में रहने वाले दूल्हे राजेंद्र चौधरी का विवाह 16 फरवरी को जुलवानिया (बड़वानी) की शिवानी से तय हुआ था. हालांकि दूल्हा-दुल्हन दोनों के परिवार के लोग ओर रिश्तेदार खंडवा जिले के भगवानपुरा के रहने वाले है. इसलिए दोनों की शादी खंडवा के पड़वा क्षेत्र स्थित धर्मशाला में तय हुई थी. अब 13 फरवरी को शिवानी को किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी. हादसा उस समय हुआ जब शिवानी अपने घर से दुकान पर कुछ सामान लेने जा रही थी. इस हादसे में शिवानी का एक पैर और हाथ बुरी तरह से जख्मी हो गए. उसे बड़वानी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया. यहां उपचार को लेकर संतुष्ट नहीं होने पर परिवार शिवानी को खंडवा ले आया. यहां अवस्थी चौराहे पर स्थित अस्पताल में उसे भर्ती किया गया था. 



अस्पताल में हुई शादी 
अब दोनों ही परिवारों की तरफ से शादी के पहले की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थी, इसलिए विवाह करना भी जरूरी था. दोनों ही परिवार वालों ने अस्पताल के संचालक डॉक्टर से बात की ,अपनी समस्या बताई. डॉक्टर भी तैयार हो गए और दुल्हन की बेहतर कंडीशन को देखते हुए 18 फरवरी शिवरात्रि के दिन विवाह का मुहूर्त निकाला गया.



इस तरह हो गई शादी
दुल्हन की जेठानी ने शिवानी को लाल जोड़ा पहना कर मेकअप किया. रिश्तेदारों ने अस्पताल के पलंग को ही मंडप का स्वरूप प्रदान किया.  दोपहर 12:30 से 1:00 के बीच के मुहूर्त में पंडित ने राजेंद्र और शिवानी को विवाह बंधन में बांधा. राजेंद्र ने पहले शिवानी को माला पहनाई. शिवानी ने भी एक हाथ से दूल्हे को माला पहनाई और सिंदूर से मांग भर दी. दोनों परिवारों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. परिवार लोगों ने तालियां बजाकर शादी का अभिवादन किया और नव दंपत्ति को जिंदगी भर का आशीर्वाद दिया.


दूल्हे के परिजनों का कहना है कि आज के समय में बेटी और बहू एक समान है. यदि हमारी बेटी के साथ ऐसी घटना होती तब क्या होता? इसलिए हमने बहू को बेटी समझ कर शादी की और समाज को यह संदेश दिया.