प्रमोद सिन्हा/खंडवा: मन में यदि सेवा का जज्बा हो तो इसकी शुरुआत कहीं से भी की जा सकती है. खंडवा के एक सैलून संचालक ने निर्धन और गरीब बस्तियों में रहने वाली छोटी छोटी लड़कियों की हेयर कटिंग कर उन्हें सुंदर बनाने का बीड़ा उठाया है. यह सैलून संचालक अपने रोज की दिनचर्या में से 2 घंटे का समय निकालकर मलिन और निर्धन बस्तियों में पहुंचता है और वहां की छोटी छोटी लड़कियों के बाल काटता है. इनका कहना है कि सुंदर दिखने का हक सभी को है और यदि शरीर को स्वच्छ रखा जाए तो सुंदरता अपने आप निखर जाती है. शरीर की सुंदरता में चेहरे का बड़ा महत्व होता है और चेहरा बालों को संवारने से ही निखरता है.


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दरअसल खंडवा जिले के छनेरा में रहने वाले संतोष सेन की छनेरा मुख्य बाजार में सैलून की दुकान है. एक दिन उन्होंने देखा कि निर्धन और गरीब बस्ती में रहने वाली एक लड़की अपने मां बाप के साथ दुकान के बाहर खड़ी थी. वह बच्ची बेतरतीब बालों की वजह से अच्छी नहीं दिख रही थी. संतोष ने अपनी दुकान में बैठा कर इस बच्ची की कटिंग की और बालों को सवार दिया. आइने में चेहरा सुंदर दिखने के बाद बच्ची भी बहुत खुश हुई. इसी खुशी में संतोष को एक आत्म संतुष्टि मिली. उसी दिन से संतोष अपनी दिनचर्या में से 1, 2 घंटे समय निकालकर निर्धन और ग्रामीण क्षेत्रों में जाते हैं. वहां पर वह निर्धन और गरीब बालिकाओं की कटिंग करते हैं, उनके बालों को सवारते हैं. इतना ही नहीं वह बच्चियों को स्वस्थ रहने के टिप्स भी देते हैं.


देश सेवा के लिए पैसे की जरूरत नहीं पड़ती
संतोष सेन ने बताया कि उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात आज भी याद है. जिसमें प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश सेवा करने के लिए किसी बड़े तामझाम और धन की आवश्यकता नहीं पड़ती है. अपनी कला, कौशल और हुनर से भी देश की सेवा की जा सकती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए संतोष सेन ने अपने हुनर को ही अपनी राष्ट्र सेवा का उद्देश्य बनाया. वह प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर छोटी-छोटी बालिकाओं को सुंदर बनाते हैं.


संतोष का कहना हैं कि मां बाप के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वह अपनी लड़कियों के बाल संवार सकें. नियमित सफाई नहीं होने की वजह से इनके बालों में जूंए,और डैंड्रफ हो जाते हैं. जिससे उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. बेहतर तरीके से बाल सेट होने से समय, पैसा, तेल साबुन तो बचता ही है शरीर स्वस्थ और मन प्रश्न निश्चित रहता है. आखिरकार बालिकाएं देश का भविष्य है और सुंदर दिखने का हक हर गरीब और अमीर को बराबर है.


ग्रामीण महिलाओं ने दी दुआएं 
ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले परिवारों से लेकर ईट भट्टों पर काम करने वाले परिवार और झुग्गी झोपड़ी में और मलिन बस्तियों में रहने वाले परिवारों की बच्चियां इनकी सेवा के केंद्र में रहती हैं. इन बस्तियों में पहुंचकर सबसे पहले यह परिवार वालों से बात करते हैं और फिर अपना काम शुरू कर देते हैं. ऐसे ही एक मलिन बस्ती में जब वह पहुंचे तो यहां की महिलाओं ने भी उनका खूब स्वागत किया और उनके काम की सराहना करते हुए उन्हें दुआएं दी. इस मलिन बस्ती में जो समझदार महिलाएं हैं. उन्होंने बताया कि पेरेंट्स के पास इतना पैसा होता नहीं कि वह अपनी लड़कियों की नियमित हेयर कटिंग करवा सके. यह लोग 1 रु की रेजर में ही अपने बच्चों को गंजा कर देते हैं.


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गाड़ी को बनाया कुर्सी
संतोष सेन को ज्यादा तामझाम की जरूरत भी नहीं पड़ती है. वह जहां भी जाते हैं बिना तामझाम के अपनी मोटरसाइकिल पर ही बैठा कर बच्चों की कटिंग कर देते हैं. संतोष अपने हुनर से समाज सेवा के जरिए राष्ट्र सेवा की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं. उनका यह काम देश में अनेक लोगों को प्रेरणा दे सकता है। अभी तक वह लगभग ढाई सौ बच्चियों के चेहरे सवार चुके हैं.