भारत का चीता प्रोजेक्ट सफल! अब खुद शिकार करेंगे रफ्तार के बादशाह
कूनो नेशनल पार्क (Kuno National park) के अफसरों ने तीनों मादा चीतों को सोमवार को बड़े बाड़े में छोड़े जाने से पहले खाना दिया और फिर एक साथ तीनों को बड़े बाड़े में रिलीज कर दिया गया.
अजय राठौर/श्योपुरः नामीबिया से लाकर भारत के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतों को बसाने की भारत सरकार की योजना सफल होती दिख रही है. बता दें कि नामीबिया से लाए गए सभी 8 चीतों को छोटे से बड़े बाड़ों में छोड़ दिया गया है. सभी चीते स्वस्थ हैं. अब चीते खुद शिकार करेंगे. सोमवार को तीन मादा चीतों को रिलीज किया गया, इससे पहले दो मादा चीतों और 3 नर चीतों को भी बड़े बाड़े में छोड़ा जा चुका है.
चीतों को बड़े बाड़े में छोड़े जाने से पहले एक आदमखोर बाघ इन बाड़ों में छिपकर बैठ गया, जिसने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी लेकिन फिलहाल बाघ बाड़े से चला गया है, जिसके बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. ये चीते बीते 73 दिनों से क्वारंटीन में थे. पहले 5 नवंबर को दो सगे चीता भाइयों को बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया. इसके बाद 18 नवंबर को एक अन्य चीते को बड़े बाड़े में छोड़ा गया. तीनों नर चीतों की मूवमेंट और उनके सही स्वास्थ्य को देखते हुए मादा चीतों को भी छोड़ने का फैसला किया गया. रविवार को दो मादा चीतों आशा और तब्लिसी को छोड़ा गया. वहीं सोमवार को अन्य तीन मादा चीतों सवाना, शाशा और सियाया को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया.
कूनो नेशनल पार्क के अफसरों ने तीनों मादा चीतों को सोमवार को बड़े बाड़े में छोड़े जाने से पहले खाना दिया और फिर एक साथ तीनों को बड़े बाड़े में रिलीज कर दिया. इस दौरान चीता टास्क फोर्स के सदस्य और भारतीय वन जीव देहरादून के डीन वाय वी झाला, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के आईजी अमित मलिक और मध्य प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक जे एस चौहान के साथ ही कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा भी मौजूद रहे. अधिकारियों ने चीतों पर निगरानी रखी.
नामीबिया से 8 चीतों के साथ भारत आये नामीबिया के विशेषज्ञों का कहना है कि चीते भारत की धरती पर यहां के वातावरण में घुल चुके हैं. सभी चीते तंदरुस्त और पूरी तरह स्वस्थ हैं. अब ये चीते अपना पेट भरने के लिए खुद ही शिकार करेंगे. फिलहाल विशेषज्ञों की टीम चीतों के व्यवहार की मॉनिटरिंग कर रही है.