प्रिया पांडे/भोपालः मध्य प्रदेश में अब लिव इन (Live in Relationship Law) में रह रही महिला की शिकायत पर सीधे दुष्कर्म का केस (Rape Case) दर्ज नहीं होगा. प्रदेश में बढ़ते रेप के आंकड़ों को देखते हुए महिला सुरक्षा शाखा ने यह आदेश जारी किया है. बता दें कि महिला सुरक्षा शाखा (Women Security Cell ) ने दुष्कर्म के मामलों में सजा दर का अध्ययन किया, जिसके बाद यह फैसला किया गया है. इस संबंध में महिला सुरक्षा शाखा ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर दिया है. 


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क्यों जारी किए गए ये निर्देश?


दुष्कर्म के मामलों में सजा दर का अध्ययन करने पर पता चला कि 80 फीसदी मामलों में महिलाएं अपने बयान से पलट जाती हैं या फिर आरोपी से समझौता कर लेती हैं. जांच में पता चला है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में फरियादी लिव इन रिलेशनशिप में थीं. दुष्कर्म के मामलों में सजा की दर महज 30-35 फीसदी ही है. यही वजह है कि अब लिव इन रिलेशन में रहने वाली महिलाओं की शिकायत पर सीधे दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं किया जाएगा. 


शिकायत मिलने पर पुलिस (MP Police) पहले काउंसलिंग करेगी और काउंसलिंग के बाद ही शिकायत सही पाए जाने पर केस दर्ज किया जाएगा. हालांकि महिला सुरक्षा शाखा का ताजा निर्देश उन्हीं मामलों में लागू होगा, जिनमें लिव इन रिलेशन में रहने वाली लड़की बालिग होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगस्त माह में मध्यप्रदेश में दर्ज दुष्कर्म के मामलों में 25.26 फीसदी आरोपियों को ही सजा मिली है. जिला न्यायालयों में कुल 392 मामलों में से 293 मामलों में आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं. 


सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी अहम


उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी एक मामले में टिप्पणी करते हुए कहा था कि "अगर लंबे समय से महिला पुरुष साथ रह रहे हैं और बाद में उनके रिश्ते खराब हो जाते हैं तो ऐसे में बलात्कार का आरोप लगाना सही नहीं है. कई बार ये भी आरोप लगाए जाते हैं कि शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए गए. ऐसे में पुरुष के खिलाफ दुष्कर्म का केस नहीं बनता है."