Tiger State MP: एमपी के वासियों के लिए बड़ी खुशखबरी! फिर नंबर एक बना प्रदेश
Tiger State MP: आज जारी हुए बाघों के आंकड़ों में मध्य प्रदेश (MP News in Hindi)ने एक बार फिर बाजी मारी है. बता दें कि देश भर में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में पाए गए हैं.
International Tiger Day: पूरा देश आज बाघ दिवस मना रहा है. इसी बीच मध्य प्रदेश (MP News) के निवासियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. बता दें कि देशभर में सर्वाधिक टाइगर के मामले में मध्य प्रदेश ने बाजी मारी है. पूरे देश भर में 785 बाघों के साथ एमपी टॅाप पर रहा (Tiger State MP). इसके अलावा उमरिया (Umaria News)जिले का बांधवगढ़ टाइगर के मामले में चौथे स्थान पर है. इसके अलावा देश भर में कहां पर कितने बाघ हैं आइए जानते हैं.
टॅाप पर बरकरार MP
बाघों के मामले की बात करें तो मध्य प्रदेश पिछले कई सालों से टॅाप पर बरकरार है. इस साल भी उम्मीद लगाई जा रही थी कि मध्य प्रदेश फिर से टॅाप पर रहेगा. ये बात बिल्कुल सही साबित हुई. बता दें कि 785 बाघों के साथ मध्य प्रदेश टॅाप पर रहा, जबकि 165 बाघ के साथ उमरिया जिले को देशभर में चौथे स्थान पर रहा. इसके अलावा अगर हम छत्तीसगढ़ की बात करें तो छत्तीसगढ़ में पिछले बार के मुकाबले 2 बाघ कम हुए हैं. साल 2018 में 19 थी बाघों की संख्या. अभी आए आंकड़े के मुताबिक साल 2022 में ये संख्या घटकर हुई 17. साल 2014 में थे 46 बाघ. उससे पहले 2010 और 2006 में 26 बाघ प्रदेश में थे.
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देशभर के आंकड़े
सर्वाधिक बाघ के मामले में जहां पर एक तरफ मध्य प्रदेश टॅाप पर रहा वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक दूसरे और उत्तराखंड तीसरे स्थान पर रहा. बता दें कि कर्नाटक में बाघों की संख्या 563 है जबकि उत्तराखंड में 560 बाघ हैं.
ऐसे बढ़े बाघ
साल 2006 में देशभर में 1411 बाघ थे. जबकि साल 2010 में बाघों की संख्या 1706 हो गई. इसके बाद साल 2014 में जारी हुई रिपोर्ट में बाघों की संख्या बढ़कर 2226 हो गई थी. इसके अलावा साल 2018 में देशभर में कुल बाघ पहुंचकर 2967 हो गए थे. बता दें कि मौजूदा समय में देशभर में बाघों की संख्या 3167 है.
मौतों में बढ़ा आंकड़ा
जहां पर एक तरफ बाघों के मामले में मध्य प्रदेश टॅाप पर रहा जबकि मौत के आंकड़ों के मामले भी मध्य प्रदेश में बढ़ते हुए देखे गए हैं. बीते कई महीनों में लगातार बाघों की डेथ की खबर कूनो नेशनल पार्क से आ रही है जिसकी वजह से सर्वाधिक आंकड़ों में कुछ गिरावट देखी गई है. अगर बाघों की मौत न होती तो ये आंकड़े और बढ़ सकते थे.