मध्य प्रदेश की नर्मदा, चंबल, बेतवा, सोन और ताप्ती नदियां जुलाई-अगस्त में दिखाती हैं आपदा, पता है क्यों
Madhya Pradesh Major Rivers: मध्य प्रदेश में इन दिनों भारी बारिश का दौर जारी है. प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के चलते राज्य की सभी नदियां भी उफान पर है. ऐसे में आज हम आपकों मध्य प्रदेश की पांच सबसे बड़ी नदियों के बारे में बताने जा रहे हैं.
भोपाल। मध्य प्रदेश प्राकृतिक सौदर्य से भरा हुआ प्रदेश है. यहां भारत के अंदर सबसे ज्यादा क्षेत्रफल के जंगल है और ये जंगल आज भी फल फूल रहे हैं. इन सबसे इतर मध्य प्रदेश को नदियों का मायका भी कहा जाता है. यहां की नदियों के कारण न केवल मध्य प्रदेश बल्कि दूसरे राज्यों को भी पानी मिलता है. नर्मदा नदीं इसका उदाहरण हैं. जबकि इन नदियों से ही प्रदेश को बिजली, पानी के साथ-साथ भोजन भी मिलता है. हालांकि बरसात के दिनों में इनके उफान पर आने से कई बार परेशानी का सामना भी करना पड़ता है, जिसके पीछे की कई वजहें हैं. आज हम आपको बता रहे हैं मध्य प्रदेश की उन्हीं पांच नदियों के बारे में जिसपर प्रदेश सबसे ज्यादा निर्भर है. ये एमपी की सबसे बडी नदियां हैं.
नर्मदा नदी
नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवन रेखा या जीवन दायनी भी कहा जाता है. ये अनूपपुर जिले में स्थित मैकाल पर्वतमाला के अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है और पश्चिम की ओर बहते हुए गुजरात में खम्बात की खाड़ी में गिरती है. नर्मदा नदी की कुल लम्बाई 1312 किमी है, जिसमें से अकेले मध्य प्रदेश में ये 1077 किमी किलोमीटर का सफर करती है. नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के 15 जिलो से होकर बहती है. मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी होने साथ ही ये देश की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है.
मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तटीय शहरों में अमरकंटक, जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, निमाड, मंडला, ओमकारेश्वर, महेश्वर,बडवानी, झाबुआ, धार,बडवाह, सांडिया शामिल हैं. इस नदी में इंदिरा सागर (खंडवा), सरदार सरोवर (नवेगाव, गुजरात), महेश्वर परियोजना (महेश्वर) बरगी परियोजना (बरगी,जबलपुर), ओमकरेश्वर परियोजनाएं चल रही है. इन परिजनाओं के कारण प्रदेश को काफी लाभ होता है. लेकिन बारिश के मौसम में नर्मदा रौद्र रूप धारण कर लेती है. जिससे कई बार यहां के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस बार के सीजन में भी नर्मदा का रौद्र रूप दिख रहा है.
चंबल नदी
चंबल नदी इंदौर के महू के जनापाव पहाड़ी के वांग्चु से निकलती है और कुल 965 किमी का सफर तय करते हुए इटावा के निकट यमुना नदी में मिल जाती है. इस नदी का मध्य प्रदेश में 325 किमी का सफर है. इसे चर्मावती, धर्मावती, कामधेनु जैसे नामों से भी जाना जाता है. इसके नाम से ही प्रदेश के एक बड़े हिस्से का नाम चंबल पड़ा है.
चंबल नदी नर्मदा नदी के बाद मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नदी है. इसे पश्चिम मध्यप्रदेश की जीवन रेखा भी कहा जाता है. ये मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम, श्योपुर, भिंड, मुरैना से बहते हुए इटवा की ओर चली जाती है. इसकी सहायत नदियो में काली सिंध, क्षिप्रा ,पार्वती, कूनो आदि हैं. इस पर गांधी सागर बांध (मंदसौर), राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़ राजस्थान), जवाहर सागर बांध (कोटा, राजस्थान) में बने हैं.
सोन नदी
सोन नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है. इसकी कुल लंबाई 780 किमी, जिसमें से मध्य प्रदेश के हिस्से में इसका 509 किमी का सफर होता है. वाल्मीकि रामायण में सोन नदी का वर्णन सुभागधी नाम से वर्णन किया गया है. ये बिहार में आरा के समीप रामपुर में गंगा नदी में मिल जाती है.
सोन नदी में दुर्लभ प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं. इसकी सहायक नदियों में जोहिला, कुनहड, घग्घर, गोपद , जोहिला , रिहंद शामिल हैं. सोन नदी पर बाणसागर परियोजना निर्मित है, जो शहडोल जिले के देवलोंद पर स्थित है. इस बांध के कारण विंध्य क्षेत्र में सिंचाई का पानी मिलता है.
ताप्ती नदी
ताप्ती नदी मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की काली सिंध पहाड़ी (सतपुड़ा श्रेणी) की चोटी मुलताई से निकलती है. इसकी कुल लंबाई 724 किमी तथा मध्यप्रदेश इसकी लम्बाई 279 किमी है. ये सूरत के निकट खम्भात की खाड़ी (अरब सागर) में गिरती है. ताप्ती नदी मध्यप्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र और गुजरात में बहती है. यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच प्राकृतिक सीमा बनती है.
ताप्ती नदी की सहायक नदियों में गोपद, पूर्णा, अनेर, कालीभीत, उतावली शामिल हैं. इस पर मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना - अपर ताप्ती, लोअर ताप्ती संचालित होती है, जिससे दोनों प्रदेशों को खाफी फायदा होता है.
बेतवा नदी
बेतवा नदी मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के कुमरा गांव से निकलती है. इसकी कुल लंबाई 480 किमी है, जिसमें से मध्य प्रदेश में इसका सफर 380 किमी का है. बेतवा उत्तरप्रदेश के हमीरपुर के निकट यमुना में मिल जाती है. इसकी प्रमुख सहायत नदियां बीना, केन, धसान, सिंध, देनवा, कालीभिति तथा मालिनी हैं. इसके किनारे मध्य प्रदेश के विदिशा, सांची, ओरछा, गुना जैसे प्रमुख शहर बसे हैं.
बेतवा नदी यमुना की सहायक नदी है और इसे मध्य प्रदेश की गंगा कहा जाता है. इसे बुंदेलखंड की जीवन रेखा कहा जाता है. बेतवा नदी पर राजघाट बांध तथा माताटीला बांध बने हुए है जो मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश की संयुक्त सिंचाई परियोजना है. इन सिंचाई परियोजना द्वारा भांडेर, दतिया, भिंड तथा ग्वालियर आदि जिले लाभान्वित हुए हैं.