मध्य प्रदेश में फिर होगा किसानों पर सियासी संग्राम, क्या 2023 में फिर यह मुद्दा करेगा काम?
मध्य प्रदेश बीजेपी और कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी है. दोनों ही पार्टियों का इस बार भी किसानों पर पूरा फोकस है. ऐसे में किसानों के मुद्दे पर प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है. 2018 के विधानसभा चुनाव का किसानों से जुड़ा एक मुद्दा 2023 के चुनाव में भी असर दिखा सकता है.
प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द रहती है. क्योंकि किसान प्रदेश का एक बड़ा सियासी मुद्दा होते हैं. 2023 में होने वाले मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस तैयारियों में जुटी हैं. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों का पूरा फोकस किसानों पर भी बना हुआ है. 2018 में किसानों के जिस मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया था, 2023 में उसी मुद्दे पर एक बार फिर सियासी घमासान होने की पूरी उम्मीद है. क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में किसानों के इस मुद्दे ने चुनावी नतीजों पर भी अपना प्रभाव डाला था.
किसान कर्ज माफी फिर बनेगा मुद्दा
दरअसल, बात किसानों की कर्ज माफी की कर रहे हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी की घोषणा की थी. जबकि कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव में भी इसी रणनीति के तहत उतरने की तैयारी में हैं. बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव से ठीक 3 माह पहले वचन पत्र जारी करेगी और वचन पत्र में कर्ज माफी का वचन सबसे पहले रखेगी. कांग्रेस को भरोसा है कि 2018 की तरह 2023 में अभी कर्ज माफी काम कर जाएगी. इसके अलावा किसानों की मेहनत पर मध्य प्रदेश को लगातार मिल रहा कृषि कर्मण अवार्ड, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में हुई बढ़ोतरी का मुद्दा भी चुनाव में होगा. लेकिन इन मुद्दों पर बीजेपी और कांग्रेस में बयानबाजी शुरू हो गई है.
2018 में किसान कर्जमाफी पर खूब हुई थी सियासत
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले मंदसौर किसान आंदोलन का मुद्दा और फिर चुनाव में किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर खूब सियासत हुई थी. यही वजह है कि अब 2023 में भी कांग्रेस इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. जबकि बीजेपी का कहना है कि इस बार किसान गुमराह नहीं होने वाला है.
कांग्रेस फिर किसान कर्जमाफी की फिर करेगी घोषणा
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव का कहना है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी तीन महीने पहले वचन पत्र जारी करेगी. जबकि इस बार के वचन पत्र में भी किसान कर्ज माफी पार्टी का प्रमुख मुद्दा होगी. कांग्रेस पार्टी को भरोसा है कि 2018 की तरह 2023 में अभी कर्ज माफी का मुद्दा प्रदेश का बड़ा सियासी मुद्दा रहेगा.
बीजेपी ने किया पलटवार
पिछली कर्ज माफी से किसानों के छिटकने के डरी बीजेपी ने भी इस बार पूरी तैयारी में हैं. बीजेपी नेता दुर्गेश केशवानी ने कहा कि इस बार हम किसानों को भ्रमित नहीं होने देंगे. कांग्रेस झूठी घोषणाओं में माहिर है हर वर्ग को ठगने फिर निकली है. लेकिन इस बार हम ऐसा नहीं होने देंगे.
किसान कर्जमाफी पर राजनीतिक जानकारों की राय
वहीं राजनीतिक दलों से इतर किसान कर्जमाफी पर राजनीतिक जानकारों की अपनी राय है. राजनैतिक विश्लेषक सरमन नगेले कहते हैं कि एमपी में किसान सियासत का केंद्र बिंदु है यह अच्छी बात है पर देखने वाली बात यह है की किसानों को आकर्षित कौन कर पाता है. 2018 में कर्ज माफी ने नो डाउट काम किया पर 28 उपचुनाव में उसका असर नजर नहीं आया था. इसलिए आने वाला समय बताएगा किसान को कौन साध पाता है.