भोपालः मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस ने 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है. खास बात यह है कि दोनों पार्टियां इस बार सभी वर्गों को साधने में लगी हुई है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर दोनों ही पार्टियों की नजर रहती है, क्योंकि इन वर्गों पर आरक्षित विधानसभा सीटों पर जिस दल की पड़ मजबूत होती है, उसे सत्ता तक पहुंचने में आसानी होती है. लिहाजा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल अब एससी एसटी वर्ग को साधने में जुट गए हैं. 


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SC-ST समीकरण दिलाएगा सत्ता
दरअसल, मध्य प्रदेश में हमेशा से ही एससी-एसटी का समीकरण सत्ता की चाबी मानी जाती है. क्योंकि इन दोनों वर्गों के लिए प्रदेश की 36 फीसदी यानी 82 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. ऐसे में जिस दल को इन वर्गों का साध मिलता है, उसका सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता है. बीते चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया जिसके चलते कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. 


कांग्रेस ने बनाया दोनों वर्गों को साधने का प्लान 
बीते दिनों कांग्रेस की बैठक में प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक ने साफ कर दिया कि एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग को साथ में लाया जाए, कांग्रेस ने इसके लिए सद्भावना मंच भी बनाने जा रही है जो कमजोर वर्ग की आवाज उठाने का काम करेगा. यानि कांग्रेस भलीभांति जानती है कि अगर सत्ता दोबारा हासिल करनी है तो अभी से इन वर्गों को साधना होगा. इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ खुद इन वर्गों के लिए आरक्षित सीटों पर प्रचार में जुट गए हैं. 


बीजेपी ने भी तैयार किया प्लान 
कांग्रेस से इतर बीजेपी ने भी एससी-एसटी वर्ग को साधने के लिए प्लान तैयार कर लिया है.  संघ और भाजपा की बैठक में इन वर्गों पर विशेष फोकस करने का निर्णय लिया गया है. क्योंकि 2003 से 2013 तक चुनावों में जनजातीय वोट भाजपा के साथ रहा था और पार्टी लगातार सत्ता में काबिज थी, लेकिन 2018 में कांग्रेस की और यह वोट बैंक डायवर्ट हो गया और भाजपा को सत्ता गंवानी पड़ी थी. ऐसे में बीजेपी ने भी अभी से इन वर्गों को साधने का प्लान तैयार कर लिया है. नवंबर में पीएम मोदी खुद बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे. तो हाल ही में संत रविदास जयंती पर भी शिवराज सरकार ने प्रदेश भर में बड़ा आयोजन किया था. यानि बीजेपी भी अभी से इस समीकरण को साधने में जुटी है. हालांकि एससी-एसटी वर्ग को साधने के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस में सियासत भी शुरू हो गई है. 


कांग्रेस ने साधा बीजेपी पर निशाना 
एससी एसटी वर्ग को साधने के मुद्दे पर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि ''भाजपा सिर्फ एससी'-एसटी ओबीसी के नाम पर इवेंट करने का काम करती है, कभी बिरसा मुंडा की जयंती मनाते हैं तो कभी रविदास जयंती लेकिन जमीनी स्तर पर इनके लिए कोई काम नहीं हुआ. एससी- एसटी वर्ग कांग्रेस के साथ था और आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस के साथ रहेगा. क्योंकि दोनों वर्गों का कांग्रेस में विश्वास है.''


बीजेपी का पलटवार 
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने भी पलटवार किया, बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि ''बीजेपी सर्व समाज समरसता में और सबका साथ सबका विकास में यकीन करती है, सभी वर्ग भाजपा के साथ है इसलिए आज प्रदेश का जनमत भाजपा को मिला है और आने वाले चुनावों में भी भाजपा की जीत होगी.''


SC-ST के लिए आरक्षित हैं 82 सीटें
मध्यप्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 82 सीटें एससी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. जिनमें से 35 सीट अनुसूचित जाति और 47 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 
अनुसूचित जनजाति वर्ग की 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थी, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी. जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की 17 सीटों पर कांग्रेस और 18 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. जिससे इन सीटों पर दोनों ही पार्टियों ने खास फोकस शुरू कर दिया है. 


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