जबलपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं, वह जबलपुर में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल होंगे, यहां प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रभारी मंत्री गोपाल भार्गव उपराष्ट्रपति की आगवानी करेंगे. जहां एयरपोर्ट पर ही उपराष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा. वहीं जबलपुर में उपराष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की गई है. 


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उपराष्ट्रपति इन कार्यक्रमों में होंगे शामिल 
उपराष्ट्रपति बनने के बाद जगदीप धनखड़ पहली बार मध्य प्रदेश के दौरे पर आ रहे हैं, वह जबलपुर में 1857 की क्रांति के नायक राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में और जस्टिस जे एस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में शामिल होंगे. 


ऐसा रहेगा उपराष्ट्रपति का मिनट टू मिनट कार्यक्रम
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 9 बजकर 55 मिनट पर भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे.  विमानतल पर ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, इसके बाद उपराष्ट्रपति सुबह 10 बजे डुमना विमानतल से मानस भवन के लिये प्रस्थान करेंगे. इसके बाद वे यहां सुबह 10.30 बजे जस्टिस जेएस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में शामिल होंगे, फिर धनखड़ दोपहर 12.30 बजे मानस भवन से माल गोदाम पहुंचेंगे. यहां वे अमर शहीद राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथशाह की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. 


दोपहर 12.45 बजे राजा शंकरशाह, कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर वेटरनरी कॉलेज ग्राउंड पर आयोजित मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे, यहां उपराष्ट्रपति का दोपहर 2.15 बजे से दोपहर 3.15 बजे तक का समय आरक्षित रहेगा. बाद में उपराष्ट्रपति धनखड़ दोपहर 3.35 बजे डुमना विमानतल पहुंचेंगे और दोपहर 3.40 बजे भारतीय वायुसेना के विशेष विमान द्वारा नई दिल्ली प्रस्थान करेंगे. इस दौरान प्रदेश सरकार के कई मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल होंगे. 


18 सितंबर को मनाया जाता है बलिदान दिवस 
राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह महाकौशल अंचल में 1857 की क्रांति के नायक माने जाते हैं, जिन्होंने आजादी के लिए अंग्रेजों की दर्दनाक मौत को हंसते-हंसते स्वीकार कर लिया था, लेकिन अंग्रेजों के सामने झुकना पसंद नहीं किया. 1857 में हुई इस घटना के बाद पूरे गोंडवाना साम्राज्य में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू हो गई. शंकर और रघुनाथ शाह के बलिदान ने लोगों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ एक ऐसी चिंगारी को जन्म दे दिया, जो बाद में शोला बन गई. उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है.