ये हैं मध्य प्रदेश के टॉप-10 पवित्र मंदिर, सुकून और शांति चाहिए तो यहां जरूर आएं
आपको मध्य प्रदेश के कुछ पवित्र मंदिरों के दर्शन जरूर करने चाहिए. बता दें कि इन मंदिरों के दर्शन करने से आपको शांति और भगवान का आशीर्वाद मिलेगा.
MP Top 10 Temples: यदि आप मध्य प्रदेश से हैं या आप इस खूबसूरत राज्य की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो आपको जरूर मध्य प्रदेश के मंदिरों के दर्शन करने चाहिए. इन मंदिरों का दर्शन करने से आपको शांति मिलेगी और मन प्रफुल्लित हो जाएगा. बता दें कि मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर और खजुराहो मंदिर जैसे मंदिर हैं तो चलिए आज हम आपको एमपी के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
उज्जैन का महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. ये शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. बता दें कि देश-विदेश से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस स्थान पर आते हैं. उज्जैन को महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. महा शिवरात्रि के दिन, हर साल मंदिर के पास एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और मंदिर पूरी रात खुला रहता है.
सास बहू मंदिर
सास बहू मंदिर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. बता दें कि ये मंदिर ग्वालियर में स्थित है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है जिन्हें सहस्त्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है. राजा महिपाल ने इस सास बहू मंदिर का निर्माण करवाया था. सास बहू मंदिर उस समय के कारीगरों और मूर्तियों के शानदार कलात्मक कौशल को दर्शाता है.
कंदरिया महादेव मंदिर
खजुराहो में कई हिंदू और जैन प्राचीन मंदिर हैं. बता दें कि खजुराहो यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है. खजुराहो के मंदिर अपनी नागर शैली की स्थापत्य कला और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं. खजुराहो का कंदरिया महादेव मंदिर राज्य के बेहतरीन मंदिर में से एक है. इसे 1050 ईसा पूर्व में बनाया गया था. मंदिर को 900 से अधिक बलुआ पत्थर की मूर्तियों के साथ अलंकृत नक्काशी से सजाया गया है. कंदरिया महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित है.
चतुर्भुज मंदिर
ओरछा का चतुर्भुज मंदिर जो भगवान विष्णु को समर्पित है उसका भी दर्शन आपको करना चाहिए. बता दें कि ओरछा निवाड़ी जिले में है. चतुर्भुज नाम 'चतुर' का एक संयोजन है जिसका अर्थ है "चार" और 'भुज' जिसका शाब्दिक अर्थ है "जिसके पास चार भुजाएँ हैं. जो विष्णु के अवतार राम के रूप में संदर्भित करता है. ये मंदिर भगवान राम को समर्पित है. इसका निर्माण मधुकर शाह द्वारा शुरू किया गया था और 16 वीं शताब्दी में उनके बेटे वीर सिंह देव ने पूरा किया था.
मैहर देवी मंदिर
मैहर देवी मंदिर एमपी के सबसे पवित्र और सुंदर मंदिरों में से एक है. यह त्रिकूट पहाड़ी के ऊपर स्थित है. बता दें 1063 सीढ़ियां चढ़ने के बाद श्रद्धालुओं को मैहर देवी के दर्शन होते हैं. मैहर देवी मंदिर देवी पार्वती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि जब शिव जी मृत सती के शरीर ले जा रहे थे तब उनका हार इस जगह पर गिर गया था और इसलिए नाम मैहर (मैहर = माई का हार ) पड़ गया. यह सतना जिले में स्थित है.
ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर भी सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिर में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है. बता दें कि ये शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ओंकारेश्वर खंडवा जिले के मांधाता में है. ये मंदिर नर्मदा और नर्मदा की एक सहायक नदी कावेरी के तट पर स्थित है.
अन्नपूर्णा मंदिर
अन्नपूर्णा मंदिर मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. बता दें कि ये मंदिर अन्न की देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है. यहां हनुमान और कालभैरव के मंदिर भी हैं. ये मंदिर इंदौर के क्रांति कृपलानी नगर में स्थित है.
कालमाधव शक्ति पीठ
कलमाधव 51 शक्ति पीठों में से एक है. बता दें कि कालमाधव शक्ति पीठ 6000 वर्ष से अधिक पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि इसकी स्थापना सूर्यवंशी सम्राट ने की थी. बता दें कि यहां सफेद चट्टान से बने मंदिर के साथ अच्छे तालाब और कुंड भी हैं. यह मंदिर सोन नदी के तट पर स्थित है. नवरात्रि के त्योहार के दौरान इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.
चिंतामण गणेश मंदिर
चिंतामण गणेश मंदिर मध्य प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण परमारों के शासन काल में हुआ था. हालांकि ऐसा भी माना जाता है कि भगवान गणेश ने पृथ्वी पर आकर खुद ये मंदिर बनाया था. बता दें कि ये मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है. जो 'गर्भगृह' में विराजमान है. भगवान गणेश का आशीर्वाद पा कर जीवन में खुशहाली पाने के लिए देश भर से भक्त इस प्राचीन तीर्थस्थल में आते हैं.
पशुपतिनाथ मंदिर
मंदसौर का श्री पशुपतिनाथ मंदिर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. बता दें कि लोग यहां भगवान शिव की पशुपतिनाथ के रूप में पूजा करते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव के आठ चेहरे हैं जो शिव लिंग पर चित्रित हैं. गौरतलब है कि शैव धर्मशास्त्र में भगवान शिव के आठ चेहरे आठ पहलुओं के प्रतीक हैं. माना जाता है कि पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण 5वीं या 6वीं शताब्दी में हुआ था.