महाकाल की पूजा के पहले क्यों किया जाता है काल भैरव का दर्शन, जानिए पौराणिक महत्व
Mahakal Darshan Ujjain: सावन का महीना शुरू होने वाला है. ऐसे में यदि आप उज्जैन स्थित बाबा महाकाल का दर्शन करने जाने वाले हैं तो इन बातों को अवश्य जान लें.
उज्जैनः विश्वव प्रसिद्ध महाकाल मंदिर उज्जैन नगरी में स्थित है. इसे अवंतिका, अवंतिकापुरी, उज्जैनी जैसे कई अन्य नामों से जानते हैं. देश भर के द्वादश ज्योतर्लिंग में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का अपना अलग ही महत्व है. यहां की प्रसिद्धि भस्म आरती और महाकाल का दर्शन करने देश दुनिया से लोग आते हैं. वैसे तो यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन सावन माह में श्रद्धालुओं की बहुत ज्यादा भीड़ होती है. यहां प्रतिदिन सुबह होने वाली भस्म आरती का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त उज्जैन में महाकाल का दर्शन करने से पहले बाबा काल भैरव का दर्शन करते हैं तो उनके जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं जो भक्त काल भैरव के दर्शन के बिना महाकाल की पूजा करते हैं तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. सावन का महीना शुरू होने वाला है यदि आप भी सावन के महीने में बाबा महाकाल का दर्शन करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं यहां पूजा दर्शन के महत्व और विधि के बारे में.
काल भैरव के दर्शन के बगैर अधूर रह जाती है महाकाल की पूजा
भगवान शिव के रौद्र रूप को काल भैरव के नाम से जानते हैं, मान्यता है कि कालभैरव अपने भक्तों की करूण पुकार सुनकर उसकी तुरंत मदद करते हैं. इसलिए जो भक्त उज्जैन के महाकाल का दर्शन करता है, उसे महाकाल का दर्शन अवश्य करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त महाकाल के दर्शन के साथ भैरवगढ़ स्थित काल भैरव मंदिर में बाबा काल भैरव का दर्शन करता है, उसके जीवन के सभी पाप मिट जाते हैं और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.
काल भैरव की मंदिर में होता है चमत्कार
उज्जैन के भैरवगढ़ में स्थित बाबा काल भैरव के मंदिर में मुख्य रूप से मदिरा का प्रसाद चढ़ता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां बाबा तश्करी में मदिरा रखकर काल भैरव के मुख के पास ले जाते ही सबके आंखों के सामने ही तश्करी में रखी मदिरा खाली हो जाती है. इस मंदिर का यह चमत्कार देखकर लोगों को एक बार में यकीन करना मुश्किल हो जाता है. बाबा काल भैरव की मंदिर में मदिरा के शिवाय लड्डी और चूरमे का भोग लगता है.
जानिए क्यों की जाती है काल भैरव की पूजा
बाबा काल भैरव को उज्जैन नगरी का सेनापति कहा जाता है. बाबा कालभैरव को महाकाल नगरी की देख-रेख करते हैं. काल भैरव मंदिर में दो बार आरती की जाती है पहली आरती सुबह साढ़े आठ बजे और दुसरी आरती शाम साढ़े आठ बजे की जाती है. ऐसी मान्यता है कि बाबा काल भैरव शत्रुओं का नाश करते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. मान्यता है कि कालभैरव को ये वरदान है कि भगवान शिव के पूजा के पहले काल भरैव की पूजा होगी. जो भक्त काल भैरव के दर्शन किए बिना महाकाल का दर्शन करते हैं उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इसलिए यदि आप कभी भी महाकाल का दर्शन करने जाते हैं तो उसके पहले महाकाल का दर्शन अवश्य करें.
दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां की भस्म आरती
भगवान महाकाल की भस्म आरती दुनिया भर में प्रसिद्ध है. इस आरती को देखने देशभर के कोने-कोने से लोग आते हैं. प्रतिदिन सुबह भगवान महाकाल का श्रृंगार और भस्म आरती किया जाता है. इसलिए यदि आप महाकाल के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो भस्म आरती जरूर देखें. इस भस्म आरती को देखने के लिए मंदिर की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन बुकिंग कर सकते हैं. हालांकि मंदिर के टिकट काउंटर पर भी भस्म आरती की बुकिंग की जाती है लेकिन इसके लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारे लगती है.
आपको बता दें कि यदि आप महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जा रहे हैं तो महाकालेश्वर मंदिर के अलावा आप यहां स्थित हर सिद्धि मंदिर, रामघाट, श्रीरामजानकी मंदिर, गढ़कालिका मंदिर और मंगलनाथ मंदिर दर्शन कर सकते हैं.
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और लोक आस्थाओं पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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