मुरैना: मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय चुनाव यानी ( ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत ) का चुनाव चल रहा है. चुनावी मसम ने नेताओं या चुनावों के बहिष्कार के साथ सरकार का विरोध आम बात है, लेकिन इन चुनावी समर में कई फैसले ऐसे होते हैं जो मिसाल कायम करते हैं. ऐसा ही एक फैसला हुआ है मुरैना में जिससे चुनाव प्रचार प्रक्रिया में सुधार की आशा जाग गई है. महिला पंचायत का ये फैसला अब इलाके में चर्चा बटोर रहा है.


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आदिवासी महिला महापंचात
दरअसल सबलगढ़ क्षेत्र के ग्राम टैंटरा में आदिवासी अंचल की महिला मुखियाओं की महापंचायत आयोजित हुई. आदिवासी मुखिया महिलाओं ने बैठक में सामूहिक रूप से यह तय किया कि हमारे गांव में चुनाव में जो भी प्रत्याशी शराब का वितरण करेगा उस प्रत्याशी को हम अपने गांव के लोग वोट नहीं दें. पंचायत ने कहा कि ये हमारे लिए घातक सिद्ध हो रही है.


हाथ उठाकर संकल्प हुआ पारित
बैठक में सभी आदिवासी महिलाओं ने हाथ उठाकर संकल्प पारित किया तथा आगे की कार्य योजना बनाकर गांव गांव में जाकर गांव की कमेटी बनाई. जिसमें महिलाएं अपने अपने गांव में जाकर सभी महिलाओं को जागृत करेंगी. 


क्या है महिला पंचायत की शर्तें
प्रत्याशी के घर में कोई सदस्य शराब से ग्रसित न हो पाए
प्रत्याशी शराब या कोई अन्य सामग्री का लालच न दे


शराब बांटना लोकतंत्र की हत्या
महिला पंचायत में शामिल हुई महिलाओं ने कहा कि चुनाव में शराब जैसी बुरी लत से हमारे आने वाली नस्लें जो खराब करती है. उनको यदि इस से छुटकारा पाना होगा तो मातृशक्ति को आगे आकर अपने-अपने गांव की इस बुराई से लोगों की रक्षा करनी होगी. जिन प्रत्याशियों द्वारा शराब जैसी घातक वस्तु को वोट के लिए परोसा जा रहा है. वह लोकतंत्र की हत्या के समान ही है.


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