Makar Sankranti Aarti Mantra: देश भर में मकर संक्रांति का त्यौहार विभिन्न तरीके से बनाया जाता है. अग्रेजी कैलेंडर के अनुसार साल का पहला त्यौहार मकर संक्रांति होता है. इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण हो जाते हैं. साथ ही इस दिन से सबी प्रकार के शुभ कार्य कार्य शुरु हो जाते है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ भगवान सूर्य की पूजा आराधना की जाती है. ज्योतिष की मानें तो इस दिन जो लोग सच्चे मन से भगवान सूर्य की पूजा उपासना करते हैं, उनकी किस्मत हमेशा सूर्य की तरह चमकती है. आइए जानते हैं मकर संक्रांति पर किन मंत्रों का करें जाप.


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मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचाग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन 
पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त 15 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से शाम 5 बजकर 55 मिनट तक है. इस दिन पुण्य काल 15 जनवरी 2023 को सुबह 7 बजकर 17 मिनट से शाम 5 बजकर 55 मिनट तक, महापुण्य काल- 15 जनवरी 2023 सुबह 7 बजकर 17 मिनट से सुबह 9 बजकर 04 मिनट तक, सुकर्मा योग- 14 जनवरी दोपहर 12 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 51 मिनट तक, धृति योग- 11 बजकर 51 मिनट से 16 जनवरी सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक है.


मकर संक्रांति पूजा विधि
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करें, साफ-सुथरे कपड़े धारण कर भगवान सूर्य की आराधना करें. इस दिन तांबे के कलश में गंगाजल लेकर उसमें तिल, लाल रंगे के फूल, अक्षत और सिंदूर डालकर चढ़ाएं. इस दिन आप भगवान सूर्य की आराधना नीचे दिए गए मंत्र व आरती से करें.


मकर संक्रांति के दिन करें इन मंत्रों का जाप 


  •  ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः

  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ

  • ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:

  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।

  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकर:


मकर संक्रांति विशेष आरती-


ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।


जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।


धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।


अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।


फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।


गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।


स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।


प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।


वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।


ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।


।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।


जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।


धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।


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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)