Farmers News: मनीष पुरोहित/मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर के अफीम उत्पादक किसान इन दिनों काफी परेशान हैं. अफीम की फसल में बीमारियां आने की वजह से अफीम का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. अफीम की औसत न दिए जाने पर अफीम काश्कातरी का लाइसेंस यानी पट्टा कट जाने का डर अब किसानों को सताने लगा है. किसान बीमारी का हवाला देकर सरकार से अफीम उत्पादन की औसत में छूट दिए जाने की मांग कर रहे हैं.


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अफीन को हुआ काली मस्सी रोग
मध्य प्रदेश के मंदसौर में 17000 किसानों को अफीम उगाने के लिए लाइसेंस प्रदान किए गए हैं. सीपीएस पद्धति के किसान भी शामिल हैं. किसानों का कहना है कि इस बार मौसम की बेरुखी के चलते काली मस्सी रोग हो गया है जिससे डोडे काले पड़ गए हैं और पौधा सूख रहा है इस वजह से अफीम का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है.


आधी ही औसत
अफीम किसान प्रेम बाई ने बताया कि अफीम उत्पादन रोगों की वजह से काफी प्रभावित हुआ है. हर बार की तुलना में आधी ही औसत बैठ रही है कई डोडो (अफीम के फल) में से दूध ही नहीं निकल पा रहा. ऐसे में अब सरकार से ही मदद की आस है. औसत में छूट दी जाए ताकि उनकी साख से जुड़ा अफीम लाइसेंस बच पाए.


धुंध से अफीम को नुकसान
अफीम किसान रतनलाल का कहना है कि खराब मौसम और कई दिनों तक छाई धुंध की वजह से अफीम के पौधों को कई तरह के रोगों ने जकड़ लिया है. इन रोगों की वजह से अफीम उत्पादन काफी हद तक प्रभावित हुआ है. ऐसे में अफीम किसानों के सामने सरकार द्वारा तय औसत पूरी किया जाना काफी मुश्किल दिखाई दे रहा है. हम मांग करते हैं कि किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए अफीम की फसल के उत्पादन के लिए तय औसत में छूट दी जाए.


किसानों को डबल टेंशन
बता दें प्रदेश के किसानों को अफीम में बीमारी लगने से डबल टेंशन हो रही है. एक तो उपज कम होने से उनकी लागत और फायदे की वसूली का संकट है जिससे उन्हें तगड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है. वहीं दूसरी टेंशन ये है कि अफीम की उपज कम होने से उसका लाइसेंस खतरे में जा सकता है.