पशुपतिनाथ मंदिर में घुसा शिवना का पानी, शिवलिंग के 8 में से 4 मुख डूबे
मध्य प्रदेश में भारी बारिश के बाद शिवना नदी उफान पर आ गई है. इस वजह से शिवना नदी का पानी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में गर्भ गृह में प्रवेश कर गया है. इस वजह से शिवलिंंग के 8 में से 4 मुख पानी में डूब गए हैं.
मनीष पुरोहित/मंदसौर: बीती शाम से हो रही तेज बारिश के बाद मंदसौर जिले के तमाम नदी-नाले उफान पर हैं. शिवना नदी के उफान पर होने की वजह से शिवना नदी का पानी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में गर्भ गृह में प्रवेश कर गया है.
भगवान पशुपतिनाथ का शिवना ने जलाभिषेक
इस सीजन में पहली बार भगवान पशुपतिनाथ का शिवना ने जलाभिषेक किया है. भगवान पशुपतिनाथ के चार मुख पानी में डूबे हुए हैं. माना जाता है कि की जिस वर्ष शिवना नदी भगवान पशुपतिनाथ का जलाभिषेक कर देती है, वह वर्ष इलाके के लिए खुशहाली भरा होता है.
काफी दुर्लभ है पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा
बता दें कि मंदसौर में पशुपतिनाथ शिवलिंग स्थापित है. शिवना नदी के तट पर स्थापित 7वीं सदी के इस प्राचीन शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है. पशुपतिनाथ की प्रतिमा अष्टमुखी है जो कि काफी दुर्लभ है. इस शिव मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन सावन के महीने में भक्तों का सैलाब उमड़ता है. सावन के महीने में खुद शिवना नदी भगवान पशुपतिनाथ का जलाभिषेक करती है लेकिन इस बार सावन निकलने के बाद ऐसा मौका आया है.
मंदिर की मूर्ति को लेकर है ये किंवदंती
पशुपतिनाथ मंदिर में मौजूद प्रतिमा 1940 में शिवना नदी से निकली है. 1961 में मंदिर के निर्माण के बाद प्रतिमा की स्थापना की गई थी. कहा जाता है कि भगवान पशुपतिनाथ की अष्टमुखी प्रतिमा का निर्माण विक्रम संवत 575 ईस्वी में सम्राट यशोधर्मन की हूणों पर जीत के बाद कराया गया था लेकिन मूर्ति को मूर्तिभंजकों से बचाने के लिए इसे शिवना नदी में छुपा दिया गया था. प्रतिमा का निर्माण एक ही विशाल शिवलिंग से किया गया है. मंदिर की मूर्ति को लेकर एक किंवदंती भी प्रचलित है, जिसके अनुसार भगवान शिव ने उदाजी नाम के एक धोबी को स्वप्न दिया था कि जिस विशाल पत्थर पर तुम कपड़े धोते हो, वो मैं हूं मुझे नदी से बाहर निकालो. जब स्वप्न में बताए गए पत्थर को बाहर निकाला गया तो भगवान पशुपतिनाथ की दिव्य प्रतिमा मिली.