Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए 3 महीने और मंत्रिमंडल का गठन हुए 2 महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. फिर भी अब तक प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों को बंगले नहीं मिल पाए हैं. वजह यह है कि नेताओं से बंगले का मोह नहीं छूट रहा है. कोई हारने तो कोई मंत्री पद जाने के बाद भी बंगले में जमा है. आलम तो यह है कि बेदखली का नोटिस मिलने के बाद भी नेता बंगले खाली नहीं कर रहे. दूसरी ओर नए मंत्रियों को बंगलों का इंतजार है.


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मध्य प्रदेश सरकार के कई मंत्री अब तक सरकारी आवासों की आस लगाए बैठे हैं. बंगले अलॉट होने के बावजूद बंगला नहीं मिलने से मंत्री परेशान हैं. बंगला अलॉट हुए लंबा समय हो गया है. मंत्री होटल या निजी आवासों में रहकर विभागों का काम भोपाल में निपटाने के लिए मजबूर हैं.  पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह, पूर्व मंत्री उषा ठाकुर, पूर्व मंत्री रामकिशोर कांवरे जैसे कई नेताओं ने बंगला नोटिस के बाद भी खाली नहीं किया तो बेदखली का नोटिस दिया. जिसकी मियाद 29 फरवरी थी पर अब तक बंगला खाली नहीं किया. दूसरी ओर प्रभुराम राम चौधरी, मीना सिंह, बृजेन्द्र प्रताप, बृजेन्द्र यादव, कमल पटेल, बिसाहू लाल सिंह ने बंगला खाली नहीं किया है.


लंबे इंतजार के बाद इन मंत्रियों को मिले बंगले
जनवरी में नवनिर्वाचित 13 मंत्रियों को आवास आवंटित किए गए थे, जिसके बाद ये मंत्री बंगलों में शिफ्ट हो गए. हालांकि, मंत्रियों को बंगलों के लिए 15-20 दिन तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि पूर्व मंत्रियों के आवास खाली करने के बाद नए मंत्रियों को बंगले मिल सके. आवास आवंटित नहीं होने के चलते माननीय गेस्ट हाउस में रहने को मजबूर थे. 


सीनियर मंत्रियों को मिली थी बंगले खाली कराने की जिम्मेदारी
ठीक एक महीने पहले सामान्य प्रशासन विभाग ने कैबिनेट मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में विजय शाह, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह, पटेल राकेश सिंह और गृह विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया है. इन मंत्रियों बंगले खाली कराने और नए मंत्रियों को बंगले आवंटित करने की जिम्मेदारी दी गई थी.


रिपोर्ट: प्रमोद शर्मा, भोपाल