MBBS के बाद IIT की पढ़ाई भी हिंदी में होगी? CM बोले- आज अंग्रेजी की गुलामी से आजादी का दिन
एमबीैबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने पर सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि जल्द ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में शुरू करवाई जाएगी. सीएम ने कहा कि आज हमें अंग्रेजी की गुलामी से आजादी मिली है.
प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां एमबीबीएस का कोर्स हिंदी में कराया जाएगा. अभी एमपी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में कराई जाएगी. आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजधानी भोपाल में एमबीबीएस कोर्स की हिंदी की किताबों का विमोचन किया. अभी तीन विषयों की पढ़ाई हिंदी में होगी, इनमें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो केमेस्ट्री शामिल हैं.
भोपाल मेडिकल कॉलेज में हो रही तैयारी
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के ए़डमिन ब्लॉक के चौथे फ्लोर में इन दिनों खासी हलचल है. दरअसल यहीं पर एमबीबीएस के कोर्स के हिंदी अनुवाद का काम चल रहा है. प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी पिछले कई दिनों से यहीं पर डेरा जमाए हुए हैं. यह पीएम मोदी का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है और यही वजह है कि सरकार इसमें कोई कोताही नहीं बरतना चाहती.
क्या बोले मेडिकल छात्र और अध्यापक
हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू होने पर मेडिकल छात्रों का कहना है कि हिंदी में किताबें लाना सही है इससे छात्रों को लाभ होगा. हिंदी हमारी मातृभाषा है और इससे हिंदी को ऊंचाई पर ले जाने का काम होगा. हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराने में जुटे डॉक्टर अभिजीत यादव ने कहा कि इससे हिंदी को बढ़ावा मिलेगा. हिंदी की किताबें कॉलेज में उपलब्ध होंगी और यह मेडिकल के छात्रों की सहूलियत के लिए होंगी. मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में छात्र हिंदी मीडियम से पढ़ाई करके आते हैं. ऐसे में उन्हें मेडिकल की पढ़ाई में अंग्रेजी से काफी समस्या होती है लेकिन ऐसे छात्रों को हिंदी की पढ़ाई से परेशानी दूर होगी. उल्लेखनीय है कि हिंदी में पढ़ाई की बाध्यता नहीं है. यानि छात्र अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी किताब से पढ़ाई कर सकेंगे.
सीएम बोले- 'IIT, IIM की पढ़ाई भी हिंदी में कराएंगे'
सीएम शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि मध्य प्रदेश में पहले एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होगी और उसके बाद इंजीनियरिंग और नर्सिंग की पढ़ाई भी हिंदी में कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है, जो सफल हुआ तो देश के दूसरे प्रदेशों में भी लागू होगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे हिंदी मीडिया के बच्चों को फायदा होगा और हिंदी के क्षेत्र में विकास होगा.
सीएम ने कहा कि अंग्रेज चले गए पर हम अंग्रेजी की गुलामी में जकड़े रहे. हिंदी को उठने नहीं दिया. आर्थिक रूप से कमजोर छात्र हिंदी में पढ़कर मेडिकल की पढ़ाई तक पहुंच जाते थे लेकिन अंग्रेजी के मकड़जाल में फंस जाते थे. कई छात्रों ने फेल होने के चलते आत्महत्या जैसे कदम उठाए. आज अंग्रेजी की गुलामी से आजादी का दिन है. सीएम बोले जो काम आजादी के बाद हो जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ. उन्होंने पाप किया. जिन पर सरकार चलाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने हिंदी को बढ़ाने का काम नहीं किया. सीएम ने कहा कि रूस, चीन, फ्रांस, इटली अपनी मातृभाषा में पढ़ सकते हैं तो भारत हिंदी में क्यों नहीं? शुरू में लोग इस पर हंस रहे थे लेकिन आने वाले समय में इसी साल 6 मेडिकल कॉलेज और 6 पॉलिटेक्निक हिंदी में पढ़ाई करवाएंगे. आईआईटी और आईआईएम की पढ़ाई भी हिंदी में करवाएंगे.
'जो 75 साल में नहीं हुआ वो हम कर रहे'
चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि हिंदी को आगे बढ़ाने का हम प्रयास कर रहे हैं. इसी के लिए हिंदी में मेडिकल कोर्स का अनुवाद किया गया है. पहले चरण में पहले साल के 3 कोर्स की किताबों का हिंदी में अनुवाद किया गया है. इसके बाद दूसरे साल के कुछ अन्य कोर्सों की किताबों का भी हिंदी में अनुवाद किया जाएगा. इस पर काम चल रहा है. विश्वास सारंग ने कहा कि जो 75 सालों में नहीं हुआ, वो हम करने जा रहे हैं. बता दें कि कई देश हैं, जहां वहां की राष्ट्रभाषा में एमबीबीएस की पढ़ाई हो रही है. जैसे चीन, जापान, कोरिया और जर्मनी आदि.
विपक्ष ने भी किया समर्थन
हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कराने को लेकर विपक्ष भी सरकार के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने कहा कि बीजेपी और सरकार को इस बात की बधाई देनी चाहिए कि उन्होंने ये कदम उठाया है. दुनिया के बड़े बड़े देश अपनी भाषा में पढ़ाई कराते हैं. भारत में भी हिंदी की पढ़ाई होगी तो निश्चित ही इससे हमारी भाषा आगे बढ़ेगी.