मेधा पाटकर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज, दान में मिले फंड में गड़बड़ी का आरोप
एफआईआर में शिकायतकर्ता ने जांच की मांग की है. आरोप है कि 14 साल में ट्रस्टियों ने 13 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा की लेकिन इस राशि के स्त्रोत और व्यय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया.
देवेश मिश्रा/बड़वानीः नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ बड़वानी थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है. प्रीतम राज बड़ोले नामक युवक ने एफआईआर कराई है. एफआईआर में मेधा पाटकर समेत 12 लोगों के नाम हैं. आरोप है कि मेधा पाटकर ने सामाजिक कार्यकर्ता बताकर और नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा देने के नाम पर बड़ी मात्रा में धनराशि बतौर दान के रूप में ली लेकिन उक्त राशि का मेधा पाटकर और अन्य लोगों द्वारा राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए इस्तेमाल किया गया.
एफआईआर में शिकायतकर्ता ने जांच की मांग की है. आरोप है कि 14 साल में ट्रस्टियों ने 13 करोड़ से ज्यादा की राशि जमा की लेकिन इस राशि के स्त्रोत और व्यय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया. इस राशि का इस्तेमाल स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों को भोजन कराने में किया गया. बैंक से डेढ़ करोड़ की राशि निकाली गई लेकिन निकासी का ऑडिट और खाता विवरण साफ नहीं है.
साथ ही आरोप है कि ट्रस्ट के 10 खातों में से 4 करोड़ से ज्यादा की राशि निकाली गई. ट्रस्ट ने दान के पैसों का इस्तेमाल विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का प्रबंधन करने में खर्च किया. मेधा पाटकर के निजी बचत खाते में 19 लाख से अधिक राशि जमा होने की बात बताई गई है जबकि मेधा पाटकर ने इंदौर के एक कोर्ट में सालाना 6 हजार रुपए की आय होने की बात कही थी.
मेधा पाटकर ने दी सफाई
वहीं मेधा पाटकर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें अभी तक पुलिस की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन वह सभी आरोपों का जवाब देने के लिए तैयार हैं. मेधा पाटकर ने कहा कि आर्थिक मुद्दे को लेकर अगर शिकायत है तो हमारे पास ऑडिट रिपोर्ट भी मौजूद है. मेधा पाटकर ने कहा कि हमारे अकाउंट्स का ऑडिट होता रहता है और आगे भी हम जवाब देने के लिए तैयार हैं. मेधा पाटकर ने कहा कि शिकायतकर्ता एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा है.
मेधा पाटकर ने कहा कि शिकायत के पीछे राजनीतिक कारण हो सकता है. एफआईआर कराकर बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है.