MP Pension Scheme: मध्य प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. राज्य सरकार ने पांच लाख नेशनल पेंशन स्कीम धारक (NPS) अफसरों और कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है. आपको बता दें कि इन अफसरों और कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी की गई है. इक्विटी सीमा जो पहले 15 प्रतिशत थी, अब बढ़ाकर 25-50 प्रतिशत की गई है. इसके साथ ही अब कर्मचारी अपने पसंद के अनुसार किसी भी पेंशन फंड मैनेजर को चुन सकते हैं. इसका फायदा यह होगा कि वे अपने पेंशन फंड में जो भी पैसा जमा कर रहे हैं, उसे उस चुने हुए फंड मैनेजर के पास निवेश कर सकते हैं. इसका सीधा फायदा कर्मचारी को रिटायरमेंट पर मिलेगा.


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बता दें कि वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी (PFRDA) में रजिस्टर्ड पेंशन फंड मैनेजरों में से किसी एक का विकल्प कर्मचारी चुन सकते हैं. मोहन यादव सरकार ने किए इस बदलाव को आपको एक उदाहरण के जरिए बताते हैं: मान लीजिए 33 साल की नौकरी के बाद आपकी पेंशन 40 हजार रुपए हर महीने बनती है, तो अब 60 हजार रुपए बनेगी. मान लीजिए एक साथ 1 करोड़ रुपए मिलते हैं, तो अब डेढ़ करोड़ रुपए मिलेंगे. अगर बाजार में उतार-चढ़ाव होता है, तो इसका असर आपके पेंशन फंड पर भी पड़ेगा. आपके पेंशन निवेश पर शेयर बाजार के जोखिम और ब्याज दरों के बदलाव का असर होगा. अगर बाजार में गिरावट आती है या ब्याज दरें बदलती हैं, तो इसका प्रभाव आपके निवेश पर पड़ सकता है. इसका लाभ उन सभी को मिलेगा जो सभी अधिकारी राज्य सेवाओं में 2005 के बाद शामिल हुए और अखिल भारतीय सेवाओं (All India Services) में 2004 के बाद सेवा में आए हैं.


रिटायरमेंट का लाभ इस तरह मिलता है?
कर्मचारियों के वेतन से मात्र 10% तक की राशि काटी जाएगी और सरकार का 14% तक का हिस्सा निवेश किया जाएगा. अगर वेतन 50 हजार रुपए है तो कर्मचारी के 5000 रुपए लिए जाएंगे और सरकार का हिस्सा उस हिसाब से 14 प्रतिशत यानी 7000 रुपए चुने गए फंड मैनेजर में निवेश किए जाएंगे. तो इसका मतलब कुल मिलाकर 12 हजार रुपए हर महीने की कटौती होगी. जिसको सरकार पेंशन फंड रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) के जरिए तीन फंड मैनेजर के जरिए निवेश करती थी. इससे कर्मचारी को रिटायरमेंट पर बेहतर लाभ मिल सके.


नई व्यवस्था में 3 के बजाय 12 अलग-अलग फंड मैनेजर
कर्मचारियों को पेंशन फंड निवेश के लिए पहले की तरह तीन के बजाय 12 अलग-अलग फंड मैनेजरों में से चुनने का मौका मिलेगा. इससे कर्मचारियों को अधिक विकल्प मिलेंगे कि वे किस फंड मैनेजर के पास अपने पैसे का निवेश करें. इक्विटी लिमिट अब 15% से बढ़ाकर 25-50% कर दी गई है. इसका मतलब अब आप अपने पेंशन फंड का अधिकतम 50% हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. आप अपने पैसे का आधा हिस्सा शेयरों में निवेश कर सकते हैं, जो पहले कम था. इस नई व्यवस्था के तहत, आपको अपने निवेश पर सालाना 30% तक का लाभ (रिटर्न) मिल सकता है. आपके पेंशन फंड की 50% राशि पर आपको सामान्य ब्याज दर (simple interest rate) मिलेगी, जो कि जोखिम रहित और स्थिर होती है. जब आप रिटायर होंगे, तो आपके पेंशन फंड का एकमुश्त हिस्सा (पूरी राशि) और पेंशन राशि आपको डेढ़ गुना तक मिलेगी.


इक्विटी और फंड मैनेजर क्या होते हैं?
इक्विटी (equity) वह वित्तीय संपत्ति (financial asset) है जो कंपनी के शेयरधारकों (shareholders) के पास होती है. इसका मतलब है कि जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आप कंपनी में एक हिस्सा (ownership stake) रखते हैं.


फंड मैनेजर (fund managers) वे पेशेवर (professionals) होते हैं जो निवेश फंड्स की संपत्तियों का प्रबंधन (Management of properties) करते हैं. उनका काम निवेश के फैसले लेना और फंड की प्रदर्शन को बेहतर बनाना होता है.


इन 12 फंड मैनेजरों का विकल्प है कर्मचारियों के पास
एसबीआई पेंशन फंड, एलआईसी फंड पेंशन, यूटीआई फंड पेंशन, एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल फंड मैनेजर, आदित्य बिड़ला सनलाइफ पेंशन मैनेजमेंट, टाटा पेंशन मैनेजमेंट, मैक्स लाइफ पेंशन फंड मैनेजमेंट, एक्सिस पेंशन फंड मैनेजमेंट, डीएसपी पेंशन फंड मैनेजर.


बेहतर रिटर्न मिलेंगे? 
पीएफआरडीए ने यह व्यवस्था लागू की थी, लेकिन अनुमति के लिए राज्य सरकार के पास भेजा गया था. अब मोहन सरकार से अनुमति मिल चुकी है. अब कर्मचारियों को फंड मैनेजर चुनने और इक्विटी में जमा राशि 25 प्रतिशत होने का निश्चित रूप से लाभ मिलेगा. एक साथ पूरी राशि और पेंशन डेढ़ गुना तक हो सकेगी.