Mokshada Ekadashi Importance: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. हिंदी पंचाग के अनुसार मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैं. मोक्षदा एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष मिलता है. आइए जानते दिसंबर माह में कब पड़ रही मोक्षदा एकादशी और कैसे करें पूजा...


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कब है मोक्षदा एकादशी
हिंदू पंचाग के अनुसार मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि की शुरुआत 03 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 05 बजकर 39 मिनट से हो रही है, जिसका समापन 04 दिसंबर को सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर को मनाया जाएगा.


मोक्षदा एकादशी पूजा विधि
एकादशी व्रत के दिन सुबह स्नान करने के पश्चात व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगावन श्री हरि विष्णु और भगवान बांके बिहारी की विधि विधान से पूजा करते हुए उन्हें धूप, दीप, पुष्प इत्यादि अर्पित करें. साथ ही श्रीमद भागवत गीता का पाठ करें. इस दिन जरुरतमंदों को गरम कपड़े बांटे. अगले दिन एकादशी व्रत का पारण करने से पहले गरीब ब्राम्हण को भोजन कराएं और सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें. 


मोक्षदा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यतानुसार मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का संदेश दिया था. इसलिए इस एकादशी के दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है की जो लोग इस दिन पूर्वजों का तर्पण करते हैं, उन्हें पितृदोष से मुक्ति मिलती है और वे हमेशा खुशहाल रहते हैं.


अवैवाहिक लोग करें ये उपाय
जिस लड़के या लड़की के शादी में विलंभ हो रहा है और मनयोग रिश्ता नहीं मिल रहा है, वे लोग इस मोक्षदा एकादशी का व्रत रखकर केले के पेड़ में चने की दाल अर्पित करें और भगावन विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. ऐसा करने से शीघ्र ही शादी संबंधित समस्या दूर हो जाती है.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)