भोपाल: मंकीपॉक्स अलर्ट ( MonkeyPox Alert ) : कोरोना वायरस के कहर से इस साल थोड़ी राहत मिली है, लेकिन अब दुनियाभर में फैल रहे मंकी पॉक्स ने दहशत बढ़ा दी है. बीमारी को लेकर सावधानी बरतते हुए मध्यप्रदेश भी एडवाइजरी जारी कर दी गई है. मध्य प्रदेश के हेल्थ कमिश्नर ने इस संबंध में सभी कलेक्टर्स, CMHO, सिविल सर्जन को एडवायजरी जारी की है. इसमें मंकी पॉक्स के लक्षण, संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट को लेकर गाइडलाइन भेजी है.


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इलाज के लिये होंगे ये नियम ( monkey pox treatment guidelines )
- सभी संदिग्ध मरीजों को चिन्हाकिंत अस्पतालों में तब तक अलग (आइसोलेट) किया जाना चाहिए, जब तक सभी घावों पर त्वचा की एक नई परत न बन जाए
- इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा Isolation समाप्त करने का निर्णय लेने पर ही अस्पताल से डिस्चार्ज करना चाहिए
- सभी लक्षणों वाले संदिग्ध मरीज डिस्ट्रक्ट सर्विलेंस ऑफिसर की निगरानी में रहेंगे
- संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकी पॉक्स वायरस की जांच के लिए sample में fluid from vesicles, blood, sputum को NIV पुणे की लैब भेजा जाएगा
- मंकी पॉक्स का positive प्रकरण पाए जाने पर Contact tracing की जाए, बीते 21 दिनों में मरीज के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान की जाये


मंकी पॉक्स के लक्षण और संदिग्ध ( symptoms of monkeypox )
- मरीजों को बुखार के साथ rashes पाये जायें
- ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिनों में किसी ऐसे देश की यात्रा की हो, जहां हाल ही में प्रकरण की पुष्टि हुई हो
- कन्फर्म या संदिग्ध मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क हुआ हो


कैसे फैलता है मंकीपॉक्स ( how is monkeypox spread )
- यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है
- यह वायरस कटी-फटी त्वचा, Respiratory tract, या mucous membrane (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है
- संक्रमित पशु, वन्यपशु से मानव में वायरस का सर्कुलेशन काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे और अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर contaminated bedding) के माध्यम से हो सकता है
- वायरस शरीर के तरल पदार्थ / घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी प्रसारित हो सकता है, जैसे संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों या लिनेन के माध्यम से


एडवाइजरी में बताया गया की मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षा वन क्षेत्रों में पायी जाती है. यह एक self-limited (स्व-सीमित) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2 से 4 सप्ताह में खत्म हो जाते हैं. गंभीर मामलों में इसकी मृत्यु दर 1 से 10% तक है.


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