MP Seat Analysis: सिंधिया की सियासत ने बदले समीकरण, BJP विधायक ने छोड़ी पार्टी, 2023 में हो सकता है कोलारस में खेल
MP Seat Analysis Kolaras Vidhan Sabha: विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) से ठीक पहले मध्य प्रदेश में सियासी दलों के साथ स्थानीय नेता एक्टिव हो गए हैं. आइये समझते हैं सिंधिया की बीजेपी में एंट्री से बिगड़े समीकरण वाली शिवपुरी जिले (Shivpur News) की कोलारस विधानसभा सीट (Kolaras Constituency) में क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े.
Kolaras Vidhan Sabha Seat Analysis: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) के रंग में रंग गया है. जल्द होने जा रहे चुनाव में सभी की नजरें बनी हुई हैं. पार्टियां प्रत्याशियों के नाम जारी करने लगी हैं. लेकिन, 2018 के बाद कांग्रेस की सरकार गिरने पर 2020 में उपचुनाव ने राज्य में कई सीटों पर समीकरण बदले हैं. इन्हीं में से एक है शिवपुरी (Shivpur News) की कोलारस सीट (Kolaras Constituency) जहां सिंधिया की एंट्री के कारण बीजेपी के विधायक ने ही इस्तीफा दे दिया है. आइये समझते हैं यहां के सियासी समीकरण क्या कहते हैं.
क्या कहते हैं हाल चुनाव के आंकड़े
कोलारस में साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही उपचुनाव हुए थे. इसमें कांग्रेस के महेंद्र यादव चुनाव जीतकर आए थे. हालांकि, उनकी पारी लंबी नहीं चल पाई और विधानसभा के चुनाव आ गए. महल के प्रभाव के कारण सिंधिया ने 2018 में यहां पूरा जो लगा दिया. लेकिन, उनके विरोधी बीरेंद्र रघुवंशी ने कांग्रेस कंडीडेट महेंद्र यादव को हरा दिया. हालांकि, इसके कुछ समय बद सिंधिया दल बल के साथ भाजपा में शामिल हो गए. इसी के साथ मामला बिगड़ने लगा.
BJP विधायक ने दिया इस्तीफा
साल 2020 में सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही कोलारस का खेल बिगड़ने लगा. ज्योतिरादित्य के धुर विरोधी कहे जाने वाले बीरेंद्र रघुवंशी पार्टी से नाराज रहने लगे. उन्होंने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचाने की कोशिश की. लेकिन, सुनवाई के अभाव में आखिरकर उन्होंने अगस्त 2023 में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और सारे आरोप सिंधिया समेत कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए नेताओं पर लगा दिया.
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वोटरों का समीकरण
कोलारस विधानसभा सीट में मतदाता के आंकड़ो की बात करें तो यहां कुल मतदाता 2,44,623 हैं. इसमें पुरुष मतदाता 1,29,664 और 1,14,950 महिला मतदाता हैं. जबकी इलाके में 9 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं. वहीं जातिगत आधार पर देखा जाए तो सर्वाधिक वोटर यादव, जाटव, धाकड़, भील, आदिवासी, कुशवाहा और रावत समाज से आते हैं. इसके साथ ही ब्राह्मण, वैश्य, रघुवंशी समाज के लोगों की भी अच्छी संख्या है. कुल मिलाकर OBC और ST वोटरों की संख्या यहां पर्याप्त है. जबकि, अन्य जाति चुनाव के परिणाम बदलते हैं.
हो सकता है खेल
चूंकी तत्कालीन विधायक बीरेंद्र रघुवंशी सिंधिया विरोध में पार्टी से इस्तीफ दे चुके हैं. इन्होंने बेहद कम अंतर से 2018 में चुनाव जीता था. उस समय उनके विरोध में खड़े सिंधिया समर्थक कांग्रेस के महेंद्र यादव थे जो अब बीजेपी में हैं. पार्टी छोड़ने के कारण रघुवंशी सिंधिया को टिकट मिलने से रहा. ऐसे में अगल वो बीजेपी कंडीडेट के सामने किसी अन्य दल या निर्दलीय उतरते हैं तो खेल बिगड़ सकता है.
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इतिहास और सियासी समीकरण
कोलारस सबसे पहले 1957 में अस्तित्व में आई. इसके बाद से ही यहां ग्वालियर राजघराने का वर्चस्व रहा है. पहले राजमाता सिंधिया का उम्मीदवार यहां से जीतता आया. इसके बाद जब माधवराव और ज्योतिरादित्य सक्रिय हुए तो उनके कंडीडेट यहां से जीतने लगे. इस तरह यहां से 6 बार कांग्रेस और 5 बार बीजेपी ने अपने प्रत्याशी जिताए. बीच में कुछ निर्दलीय नेताओं को भी यहां से काम करने का अवसर मिला.
क्या हैं स्थानीय मुद्दे
क्षेत्र में आम जनता के लिए जल संकट एक बड़ा मुद्दा है. यहां के लोगों को गोदावरी नदी पास में होने के बाद भी सिंचाई के लिए पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती. इसके बाद पलायन, रोजगार और सड़क के मुद्दे हैं जिस कारण इलाका पिछड़ेपन का शिकार है. यहीं बातें चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं.