MP Seat Analysis: 30 साल से कांग्रेस का अभेद्य किला है ये सीट, क्या तोड़ पाएगी BJP; जानें 2023 के समीकरण
MP Seat Analysis Pichor Vidhan Sabha: मध्य प्रदेस में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) का आगाज हो चुका है. अगले महीने चुनाव की तारिखें तय हो जाएंगी. ऐसे में आइये समझते हैं शिवपुरी जिले (Shivpur News) की पिछोर विधानसभा सीट (Pichor Constituency) का सियासी समीकरण जिसे कांग्रेस ने 30 साल में अभेद किला बना लिया है.
Pichor Vidhan Sabha Seat Analysis: अब मध्य प्रदेश अगले महीने चुनाव (Assembly Election 2023) की तारिखें लगभग तय होने की उम्मीद है. विधानसभा चुनाव के रंग में रंगी पार्टियां दावेदारी की कुंडली निकलाने लगी हैं. इस बीच दलबदल और दावेदारी का दौर शुरू है. आइये समझते हैं 30 साल से कांग्रेस का अभेद्य किला बने शिवपुरी (Shivpur News) जिले की पिछोर (Pichor Constituency) सीट के सियासी और जातीय समीकरण के बारे में और समझते हैं कि क्या कांग्रेस अपना किला बचाए रहेगी या बीजेपी किले में फतह करने में जीत हासिल करेगी.
30 साल में बना कांग्रेस का किला
पिछोर 1951 में मध्य भारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में से एक थी. 1956 में मध्य प्रदेश के गठन के बाद भी इसे पिछोर विधानसभा के रूप में ही जाना जाता रहा. प्रदेश के पहले चुनाव में यहां हिंदू महासभा जीती और उसके बाद कांग्रसे ने जीत हालिल की. धीरे-धीरे ये इलाका कांग्रेस का गढ़ बनता गया. 1993 में कांग्रेस ने केपी सिंह उर्फ कक्काजू को मैदान में उतारा उसके बाद से वो अभी तक मतलब लगातार 6 बार से जीत रहे हैं. ऐसे में पिछोर सीट कांग्रेस की अभेद्य किला बन गई है.
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मतदाताओं के आंकड़े
पिछोर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के आंकड़ो की बात करें तो क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 57 हजार 19 है. इनमें पुरुष मतदाता 1,36,706 हैं, जबकि महिला मातदाओं की संख्या 1,20,308 है. इसके साथ ही इलाके में 5 थर्ड जेंडर मतदाता भी शामिल हैं.
क्या है पिछोर का जातीय समीकरण?
पिछोर को लोधी समाज का साम्राज्य कहा जाता है. क्योंकि यहां बड़ी संख्या में लोधी वोटर हैं. इसके बाद यहां ब्राह्मण का नंबर आता है. संख्या बल के अनुसार बात करें तो इलाके में लोधी समाज के करीब 50 हजार वोटर हैं. इसके साथ ही ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार के आसपास है. वहीं 30 हजार मतदाता आदिवासी वर्ग से आते हैं. वहीं जाटव और कुशवाहा समाज का भी 20-20 हजार मतदाताओं का योगदान कुल वोटरों में हैं. यादव और रावत समाज की संख्या भी 10-10 हजार से ऊपर है.
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पिछले चुनाव के नतीजे
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बीजेपी को आस थी की 25 साल का वनवास खत्म हो जाएगा. लेकिन, इस बार भी कांग्रेस ने जीत हासिल की और बीजेपी का सपना टूट गया. बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम लोधी को 78995 वोट मिले. हालांकि, इसके बाद भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. प्रीतम लोधी के मुकाबले, कांग्रेस प्रत्याशी केपी सिंह कक्काजू 91463 वोट मिले और वो 2675 मतों के अंतर से जीत हासिल कर कांग्रेस का झंडा लेकर विधानसभा पहुंच गए.
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2023 में क्या हो सकता है?
पिछोर से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के भतीजे प्रीतम सिंह लोधी हैं. इन्हें पार्टी ने हार के बाद भी टिकट दिया था. हालांकि, अभी कुछ समय पहले ब्राम्हण विरोधी बयान के कारण उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था. हालांकि, बीच में पार्टी का मन बदला और उन्हें खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें घर वापसी करा ली. हालांकि, अभी भारतीय जनता पार्टी टिकट का ऐलान नहीं किया है. वहीं कांग्रेस ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में 2023 का आंकलन टिकटों के बटवारे के बाद ही किए जा सकेंगे.