Bamori Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक-एक सीट इस बार बीजेपी और कांग्रेस के लिए अहम मानी जा रही है. क्योंकि तरफ कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पुरजोर लगा रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी सत्ता को बचाने की कवायद में जुटी है. ऐसे में एक-एक सीट मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. बात अगर गुना जिले की बमोरी विधानसभा सीट की जाए तो यह सीट इस बार सूबे की वीआईपी सीट मानी जा रही है. क्योंकि इस सीट से सिंधिया समर्थक शिवराज सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया विधायक हैं. 


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2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बमोरी 


दरअसल, बमोरी विधानसभा सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. तब से लेकर अब तक इस सीट पर चार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस में मुकाबला बराबरी का रहा है. 2020 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी. यह सीट केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली सीट भी मानी जाती है. जिससे यहां इस बार भी सबकी नजरें होगी. 


बमोरी के जातिगत समीकरण 


बमोरी विधानसभा सीट के जातिगत समीकरण सबसे दिलचस्प हैं, क्योंकि इस सीट पर अनुसूचित और पिछड़ा वर्ग के सबसे ज्यादा मतदाता है, लेकिन विधायक हर बार सवर्ण वर्ग से बनता है. दरअसल, बमोरी में सहरिया आदिवासी, धाकड़-किरार वोटर्स सबसे ज्यादा हैं, इसके अलावा यादव, लोधी, रघुवंशी वर्ग भी प्रभावी भूमिका में होता है. ऐसे में जिस भी प्रत्याशी की तरफ इनका झुकाव होता है, उसके जीतने के चांस ज्यादा होते हैं. 


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2018 में ऐसा था वोटर्स का ताना बाना 


बात अगर बमोरी विधानसभा सीट के मतदाताओं की जाए तो 2018 के चुनाव में इस सीट पर 2 लाख 6 हजार 127 वोटर्स थे, जिनमें से 1 लाख 7 लाख 351 पुरुष मतदाता और 98 हजार 776 महिला मतदाता थे. हालांकि इस सीट पर जातिगत समीकरण अहम तो होते हैं, लेकिन फिर भी यहां प्रत्याशी प्रमुख भूमिका में होता है. अब तक एक उपचुनाव मिलाकर इस सीट पर चार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है. 


सीट का सियासी इतिहास 


  • 2008 के चुनाव में बीजेपी के कन्हैया लाल अग्रवाल विधायक चुने गए 

  • 2013 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह सिसोदिया पहली बार जीते 

  • 2018 में महेंद्र सिंह सिसोदिया दूसरी बार जीते 

  • 2020 के उपचुनाव में महेंद्र सिंह सिसोदिया बीजेपी से जीते 


2018 और 2020 में ऐसा रहा था नतीजा 


2018 में कांग्रेस की तरफ से महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बीजेपी के कन्हैयालाल अग्रवाल को हराया था. जिसके बाद वह कमलनाथ सरकार में मंत्री भी बने. लेकिन कमलनाथ और सिंधिया के बीच अनबन का पहला संकेत सिसोदिया ने दिया था. जिसके बाद सिसोदिया सिंधिया के साथ विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए और उपचुनाव में बीजेपी की तरफ से उतरे. यहां कन्हैया लाल अग्रवाल भी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में चले गए. लेकिन जिससे 2018 के प्रतिद्वंदी 2020 के उपचुनाव में दलबदल के साथ फिर आमने-सामने आ गए हालांकि इस बार भी चुनाव महेंद्र सिंह सिसोदिया ने बड़े मार्जिन से जीता था. 


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