Sabalgarh Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 39 प्रत्याशियों की जो लिस्ट जारी की है, उनमें मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा सीट पर सरला रावत को प्रत्याशी बनाया है, जबकि यहां से वर्तमान में कांग्रेस के बैजनाथ कुशवाहा विधायक हैं. सबलगढ़ चंबल अंचल की अहम सीट मानी जाती है क्योंकि यहां बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिलती है, खास बात यह है कि इस सीट पर बीजेपी पर वंशवाद का आरोप भी लगता है. क्योंकि अब तक पार्टी यहां एक ही परिवार को 10 बार विधानसभा चुनाव का टिक दे चुकी है. ऐसे में यहां मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है. ऐसे में हम आपको सबलगढ़ के सियासी ताने-बाने से रूबरू कराने जा रहे हैं. 


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सबलगढ़ में होता है त्रिकोणीय मुकाबला  


सबलगढ़ विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता यहां बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बीएसपी भी प्रभावी भूमिका में रहती है. कई चुनावों में बसपा दूसरे नंबर पर रही है, 2018 के चुनाव में भी बसपा ने बीजेपी को तीसरे नंबर पर खिसका दिया था. बीजेपी कांग्रेस के अलावा बसपा इस बार भी यहां पूरा फोकस कर रही है, जिससे सबलगढ़ में मुकाबला इस बार भी त्रिकोणीय होने की पूरी उम्मीद है. 


सबलगढ़ के जातिगत समीकरण 


चंबल अंचल की सीट होने की वजह से सबलगढ़ में जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. रावत जाति के यहां सबसे ज्यादा वोटर्स हैं, ऐसे में बीजेपी ने एक बार फिर इसी वर्ग से आने वाली सरला रावत को टिकट दिया है, ऐसे में दोनों पार्टियां ज्यादातर इसी वर्ग को टिकट देती हैं.  रावत के अलावा यहां ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं. 


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ऐसा वोटर्स सबलगढ़ में वोटर्स का तानाबाना 


सबलगढ़ विधानसभा सीट पर वोटर्स की बात की जाए तो 2018 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से यहां कुल 1,98,515 मतदाता थे, जिनमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,08,004 थी जबकि महिला वोटर्स की संख्या 90,504 है. पिछले चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. लेकिन इनमें से आठ उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले थे. 


सबलगढ़ विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास 


बात अगर सबलगढ़ विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की जाए तो यह सीट 1977 से अस्तित्व में हैं, लेकिन 1990 के बाद इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बसपा की भी एंट्री हो गई और इन तीनों पार्टियों के बीच ही मुख्य मुकाबला होता आया है. 1998 में सबलगढ़ में बहुजन समाज पार्टी ने अपना खाता खोल लिया था. बात अब तक इस सीट के विधायकों की जाए तो इनके नाम कुछ इस तरह रहे हैं. 


  • श्रीधरलाल हर्देनिया, जेएनपी, 1977 

  • सुरेश चंद्र, कांग्रेस, 1980 

  • भगवती प्रसाद बंसल, कांग्रेस, 1985 

  • मेहरवान सिंह रावत, बीजेपी, 1990

  • सुरेश चौधरी, कांग्रेस, 1993 

  • बूंदीलाल रावत, बीएसपी, 1998  

  • मेहरबान सिंह रावत, बीजेपी, 2003 

  • सुरेश चौधरी, कांग्रेस, 2008 

  • मेहरबान सिंह रावत, बीजेपी, 2013

  • बैजनाथ सिंह, कांग्रेस, 2018


2018 में ऐसा रहा था परिणाम 


2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्व विधायक मेहरवान सिंह रावत की बहू सरला रावत को टिकट दिया था. लेकिन वह तीसरे नंबर पर रही थी. कांग्रेस के बैजनाथ सिंह ने बहुजन समाज पार्टी के लाल सिंह केवट को 8,737 वोटों के अंतर से हराया था. बैजनाथ सिंह को 54,606 वोट और लाल सिंह को 45,869 वोट मिले थे, जबकि सरला रावत 45,100 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी. 


रावत परिवार को 10वीं बार मौका 


बीजेपी ने इस सीट पर एक बार फिर मेहरवान सिंह रावत की बहू सरला रावत को ही टिकट दिया है. खास बात यह है कि इस सीट पर बीजेपी ने रावत परिवार को 10वीं बार टिकट दिया है. ऐसे में चंबल के सियासी गलियारों में इसी बात की चर्चा तेज है कि क्या बीजेपी रावत परिवार के सहारे 2018 का बदला 2023 में पूरा कर पाएगी. वहीं बात अगर कांग्रेस की जाए तो कांग्रेस ने वर्तमान विधायक बैजनाथ सिंह ही दमदार प्रत्याशी माने जा रहे हैं. जबकि बीएसपी से भी यहां कई दावेदार सामने आ रहे हैं. 


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