MP Vidhan sabha Chunav 2023: 28 जून 2023 की तारीख को आगामी विधानभा चुनाव से कुछ समय पहले ही छत्तीसगढ़ को पहला डिप्टी CM मिला. इसी साल छत्तीसगढ़ के साथ मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होना है. हमेशा से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हुई राजनीतिक उथल-पुथल का असर एक-दूसरे में देखने को मिला है. अब TS सिंहदेव के छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम बनने के बाद चर्चाएं हो रही हैं कि मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिल सकता है. ऐसे में कुछ नाम भी हैं जो सामने आ रहे हैं


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वरिष्ठ पत्रकार सुभाष झा ने बताया कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का मिजाज काफी कुछ एक जैसा है. इसलिए राजनीतिक तासीर जब छत्तीसगढ़ में बदली तो इसको लेकर मध्य प्रदेश में भी चर्चाएं आम हो रही है कि कहीं राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले नया डिप्टी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री की घोषणा न हो जाए. वर्तमान कार्यकाल में जब से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने हैं, भोपाल से दिल्ली तक इनके कुर्सी हिलने-डुलने की खबर आती रही है. 
 
एक दिन पहले जब असंतोष कांग्रेस नेता माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के मंत्री टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाया गया, उसके बाद मध्य प्रदेश को लेकर भी चर्चा होने लगी है. हालांकि, भाजपा की ओर से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा डिप्टी सीएम की घोषणा को असंवैधानिक बताया जा रहा है.


मध्य प्रदेश में कुछ ही महीने इस कार्यकाल के शेष हैं. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस की ओर से असंतोष गुट को डिप्टी सीएम का लॉलीपॉप अभी से ही थमाया जा सकता है. यह इस पर निर्भर करता है कि राज्य की जनता का आदेश किसी शासन करने का मिलता है. कांग्रेस और भाजपा नेताओं के अपने अपने दावे और फलसफे हैं.


MP में 2 डिप्टी CM! 
मध्य प्रदेश की इन चर्चाओं को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि जब कांग्रेस के दो दर्जन के करीब विधायक भाजपा में आए और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने, उस समय दो लोगों को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के भरोसेमंद विधायक तुलसीराम सिलावाट, जो कि SC समुदाय से आते हैं. दूसरी ओर भाजपा की ओर से नरोत्तम मिश्रा, जो कि ब्राह्मण हैं. इस तरह से भाजपा में ओबीसी का मुख्यमंत्री और एसटी सहित ब्राह्मण से दो उपमुख्यमंत्री होते, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और संघ की ओर से सहमति नहीं मिलने के कारण ऐसा नहीं किया गया.


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जब सरकार बनाते समय घोषणा नहीं हुई, तो अब चंद महीनों के लिए भाजपा द्वारा डिप्टी सीएम की घोषणा की उम्मीद नहीं है. हालांकि, सच यह भी है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल में पार्टी के कई नेता और मंत्री उनसे पहले की तरह खुश नहीं हैं. कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद भी स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके विधायक-मंत्री सहज नहीं महसूस कर रहे हैं. अंदरखाने खबर यह भी है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से ये विधायक लगातार संपर्क में हैं. 
लिहाजा, भाजपा संगठन के लोग इन विधायकों पर यकीन नहीं कर रहे हैं. वैसे, भाजपा में केंद्रीय राज्यमंत्री प्रह्लाद पटेल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का विश्वासपात्र बताया जाता है. केंद्रीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की दशकों की प्रबल इच्छा राज्य सरकार में शामिल होने की रही है.


कांग्रेस में गुटबाजी
कांग्रेस की बात की जाए, तो इस अंदरूनी गुटबाजी को भुलाकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह आगामी विधानसभा में कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाना चाहते है. कमलनाथ दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से कई मुलाकातें कर चुके हैं. राज्य की राजनीतिक निर्णय लेने के लिए कमलनाथ को विशेष अधिकार दिया गया है. मध्य प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन और पार्टी की गुटबाजी को साधने के लिए कांग्रेस इस बार यदि सत्ता में आए तो डिप्टी सीएम का प्रयोग कर सकती है. कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की दशा में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. हालांकि, दिग्विजय सिंह के भी भरोसेमंद नेताओं में शुमार अरूण यादव, जीतू पटवारी और पाछीलाल मीणा को भी कमत्तर नहीं आंका जा सकता है.