प्रमोद शर्मा/भोपाल: मध्यप्रदेश में माननीयों के सवालों के जवाब के लिए पैसा  पानी की तरह बह रहा है. जवाब सार्वजनिक में विधायकों का हंगामा बाधक बन रहा. 2019 से अबतक 500 सवालों का एक जवाब मिला है. जो कि है कि जानकारी जुटाई जा रही है.इसी के चलते ये सवाल भी उठता है कि चर्चा वाले सदन में हंगामा से जनता को क्या फायदा मिलेगा?


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बता दें कि जनता के मुद्दों की चर्चा के लिए सदन हंगामे की भेंट चढ़ा है. विधायकों के सवालों को जुटाने के लिए राजधानी भोपाल से लेकर गांव तक अमला जुटता है. सवाल के जवाब के लिए अधिकतम 50 हजार रुपये का खर्च आता है,पर हंगामे के चलते सवालों के जवाब सार्वजनिक नहीं हो पाते हैं. एमपी विधानसभा के बजट सत्र में सेकड़ों सवालों के आसपास जवाब तैयार किए गए, लेकिन जवाब सार्वजनिक नहीं हो सके और ये विधायकों के हंगामे के चलते हुआ है. इन दिनों मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है.  इसके 2 दिन सिर्फ विधायकों के हंगामे के भेंट चढ़ गए और इस हंगामे के चलते सैकड़ों सवालों के जवाब बनने के बावजूद सार्वजनिक नहीं हो पाए. क्या आपको पता है कि सदन में पूछे गए एक सवाल का जवाब तैयार करने में कितना खर्च आता है तो चलिए हम आपको बताते हैं.


इतना आता है खर्च
गौरतलब है कि जनता के टैक्स के पैसे से जवाब तैयार होता है. बता दें कि विधायकों की एक सवाल की कीमत औसतन हजारों में है. सदन में पूछे गए कुछ सवालों के जवाब जुटाने में गांव से भी जानकारी मंगाई जाती है. विधानसभा की कार्यवाही में हर घंटे ढाई लाख रुपये तक का खर्च आता है. इस हिसाब से यदि 5 घंटे सदन चला तो कुल खर्च 12.50 लाख तक आता है.


बता दें कि एमपी विधानसभा के बजट सत्र में 3,500 से ज्यादा सवाल पूछे गए हैं.विधायक द्वारा पूछे गए किसी एक सवाल का जवाब तैयार करने में विधायक उनके स्टाफ का वेतन,विधानसभा के स्टाफ, संभाग और जिला स्तर पर खर्च होने वाला खर्च शामिल है. इसमें कर्मचारी का वेतन,विशेष भत्ता फोटोकॉपी डाक या व्यक्ति द्वारा दस्तावेज भोपाल ले जाने का खर्च शामिल है.


500 प्रश्नों के केवल एक उत्तर की जानकारी मिली
मिली जानकारी के अनुसार 2019 से अब तक एक जैसे 500 सवालों का एक ही जवाब जानकारी जुटा रहे. मंदसौर गोलीकांड पर 100 सवाल एक जवाब कार्रवाई कार्यवाही प्रक्रियाधीन.उदाहरण के लिए विधानसभा में पूछे गए सवाल क्रमांक 1277 का जवाब जुटाने में लगभग 10 हजार रुपये तक खर्च हुए. यह सवाल कांग्रेस विधायक महेश परमार का है. जिसमें उन्होंने प्रदेश की सड़कों के बारे में पूछा है. लोक निर्माण विभाग में इसका जवाब 5 हजार पेज में तैयार किया है.