MP Govt Employees: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने नई ट्रांसफर पॉलिसी जारी कर दी है, लंबे इंतजार के बाद जारी हुई यह तबादला नीति अहम मानी जा रही है, क्योंकि कर्मचारियों के ट्रांसफर में एक बार फिर विभागीय मंत्री को बड़ी पॉवर मिल गई है. नई तबादला नीति में कई जरूरी बदलाव किए गए हैं, जहां विशेष परिस्थिति में विभागीय मंत्री के अनुमोदन पर सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसपर किए जा सकेंगे. इससे पहले हुई मोहन कैबिनेट की बैठक में कर्मचारियों के ट्रांसफर के पॉवर फिर फिर से मंत्रियों को दिए जाने का फैसला लिया गया था, जिसके बाद ही अब नई नीति जारी कर दी गई है. 


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अब मध्य प्रदेश में होंगे ट्रांसफर 


मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को लंबे समय से ट्रांसफर पॉलिसी का इंतजार था, ऐसे में अब नई नीति जारी होने के बाद प्रदेश के सभी विभागों और जिलों में सरकारी कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे. माना जा रहा है कि अब ट्रांसफर फिर से शुरू होंगे. 


मध्य प्रदेश की ट्रांसफर पॉलिसी 


  • लोकायुक्त संगठन/आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अथवा पुलिस की तरफ से शासकीय सेवक के खिलाफ अगर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने अथवा अभियोजन की कार्यवाही शुरू होने पर जांच प्रभावित न होने की दृष्टि में तबादला किया जा सकेगा. 

  • निलंबन, त्यागपत्र, सेवानिवृत्ति (सामान्य/अनिवार्य/स्वैच्छिक), पदोन्नति, प्रतिनियुक्ति से वापसी अथवा शासकीय सेवक के निधन के फलस्वरूप रिक्त हुए पद जिसके संबंध में विभाग का यह मत हो कि लोकहित में उक्त पद की पूर्ति स्थानांतरण पर प्रतिबंध अवधि में की जाना अत्यंत आवश्यक है, उसके ट्रांसफर हो सकेंगे. 

  • वहीं गंभीर रूप से बीमार मरीज या फिर गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, लकवा, हार्ट के मरीज को भी उनके हिसाब से ट्रांसफर में प्राथमिकता मिलेगी. 

  • ऐसे न्यायालयीन निर्णय के अनुक्रम में, जिसके माध्यम से प्रदत्त आदेश के अनुपालन के अतिरिक्त और कोई विधिक विकल्प शेष न हो किंतु ऐसी परिस्थिति में स्थानांतरित किये जा रहे स्थान पर संबंधित अधिकारी, कर्मचारी के विरुद्ध विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही लम्बित न हो, उसमें भी ट्रांसफर को प्राथमिकता रहेगी. 


विशेष परिस्थितियों में होंगे तबादले


मध्य प्रदेश में नई तबादला नीति के अनुसार कर्मचारियों के ट्रांसफर विशेष परिस्थितियों में ही होंगे. क्योंकि भले ही मंत्रियों को ट्रांसफर के आधिकार दे दिए हैं, लेकिन उसके लिए किसी विशेष परिस्थिति का होना जरूरी है. बता दें कि मध्य प्रदेश में आखिरी बार तबादला नीति 2022 में आई थी, उसके बाद अब तीन साल बाद आई है. 


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