MP हाई कोर्ट का बड़ा फैसला! बुरहानपुर के ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड का दावा अस्वीकार
MP News: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुरहानपुर में तीन ऐतिहासिक धरोहरों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इंकार कर दिया. अदालत ने कहा कि प्राचीन स्मारक केवल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन होते हैं. वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की कमी के चलते ये संपत्तियाँ वक्फ बोर्ड को नहीं दी गईं.
MP News: मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के ऐतिहासिक धरोहरों को लेकर हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने मुगल और फारुखी शासन काल में बनाई गईं 3 ऐतिहासिक धरोहरों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इंकार कर दिया. अपने फैसले में कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इमारत को प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है तो उसे वक्फ संपत्ति घोषित करना बेईमानी है. यह निर्णय जस्टिस जीएस अहलूवालिया की बेंच द्वारा लिया गया है. बेंच ने बुरहानपुर में स्थित शाह शुजा का मकबरा, नादिर शाह का मकबरा, बीबी साहब की मस्जिद और बुरहानपुर के किले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन माना है.
वक्फ ने तीनों संपत्तियों पर अपना अधिकार बताया था
मामला वक्फ की तीन संपत्तियों पर कब्जे के आरोप से जुड़ा था. वक्फ बोर्ड ने अदालत से अनुरोध किया था कि इन पर से अतिक्रमण हटाया जाए क्योंकि उनका मानना है कि ये संपत्तियां उनकी हैं और इनके ऊपर कब्जा किया गया है. इस मामले की सुनवाई के दौरान, अदालत ने वक्फ बोर्ड से इन संपत्तियों पर उनके अधिकार होने के प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा.
अदालत ने वक्फ की संपत्ति होने से इंकार किया
अदालत ने दस्तावेजों की मांग की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये संपत्तियां वास्तव में वक्फ बोर्ड की हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड अदालत के समक्ष कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहा. बिना दस्तावेजों के अदालत को यह साबित करने में मुश्किल हो रही थी कि ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड की हैं. कोई भी सबूत नहीं होने पर वक्फ बोर्ड को इनमें से कोई भी संपत्ति पर अधिकार नहीं दिया गया.
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केंद्र सरकार के अधीन
कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट ने तीनों संपत्तियों को वक्फ बोर्ड के बजाय केंद्र सरकार के अधीन करने का आदेश दिया. बता दें कि यह मामला हाई कोर्ट में लंबे समय से चल रहा था. दोनों पक्षों ने दलीलें रखी. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया.
अन्य वक्फ बोर्ड के लिए भी मिसाल
गौरतलब है कि यह फैसला अन्य वक्फ बोर्ड के लिए भी एक मिसाल बन गया क्योंकि इसमें कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि प्राचीन स्मारकों पर सिर्फ केंद्र सरकार का ही अधिकार होगा. वक्फ बोर्ड ऐसी इमारतों पर अपना दावा नहीं कर सकता.