MP High Court Decision: जबलपुर हाईकोर्ट ने लव जिहाद को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. होईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 4 के तहत हिंदू युवती को मुस्लिम युवक के साथ शादी करने की इजाजत दी है. साथ ही इसको लेकर राज्य सरकार और प्रशासन को भी निर्देश दिए हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल, इंदौर-जबलपुर के बहुचर्चित लव जिहाद मामले में एमपी हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने इंदौर की युवती और सिहोरा के युवक की कोर्ट मैरिज शादी की अनुमति दे दी है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ ने युवक और युवती को शादी करने की अनुमति दे दी है.


हिंदू संगठनों ने किया रोकने का प्रयास
बता दें कि इंदौर की रहने वाली अंकिता राठौर और जबलपुर के रहने वाले हसनैन अंसारी लिविंग रिलेशन में रह रहे थे. पिछले महीने 12 नवम्बर 2024 को युवती और युवक ने जबलपुर कलेक्टर कार्यालय में रजिस्टर्ड विवाह होना था. लड़की के पिता इस शादी से नाखुश थे, जिसके चलते हिंदू संगठनों ने इस शादी को रोकने के लिए काफी प्रयास किया. अंकिता के परिवार वालों ने इस शादी के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसके बाद पुलिस ने युवक युवती को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया था. वहीं, कल गुरुवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए युवक युवती को शादी करने की अनुमति दे दी है.


जानिए क्या है हाई कोर्ट का आदेश
इस पूरे मामले एमपी हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 की धारा 4 के तहत दोनों को शादी का अधिकार है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रेमी जोड़े की शादी के रास्ते में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए. इस दौरान युवक और युवती ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई. जिस पर हाईकोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने शादी से एक महीने तक प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही संबंधित जिले के एसपी को निर्देशित किया गया कि सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार कदम उठाए जाएं.


लड़की के भाई ने लगाया था लव जिहाद का आरोप
जानकारी के मुताबिक, अंकिता और हसनैन दोनों 4 वर्षों के रिलेशनशिप में थे. वे एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं. लेकिन लड़की के परिजन इसका विरोध कर रहे थे. लड़की के भाई ने युवक पर लव जिहाद का आरोप भी लगाया था. वहीं, हाईकोर्ट ने इस मामले पर अंकिता राठौर को 15 दिन के लिए नारी निकेतन भेज दिया था. ताकि वह पूरी तरह सोच विचार करें और अपना फैसला ले.


ये भी पढ़ें- अब निजी स्कूल वाले नहीं वसूल पाएंगे मनमानी फीस, MP सरकार ने बनाया ये कानून