Illegal Constructions Will Become Legal: मध्य प्रदेश सरकार ने उन लोगों को राहत दी है जिनके पास अवैध आवासीय (residential construction) या व्यावसायिक निर्माण (commercial construction) हैं. 31 अगस्त 2024 तक, राज्य में 30% तक अवैध निर्माणों को वैध किया जा सकेगा. नए नियमों के अनुसार मालिकों को आवासीय संपत्तियों के लिए बाजार मूल्य का 12% और वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए 18% का भुगतान करना होगा. यह राहत 1 जनवरी, 2021 से पहले जारी भवन परमिट वाले भवनों पर लागू होती है. इस कदम का उद्देश्य नगर निकायों के लिए वित्तीय कठिनाइयों को कम करना है.


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बता दें कि राज्य भर के नगर निगमों और निकायों के सामने आने वाली वित्तीय कठिनाइयों को कम करने के लिए कंपाउंडिंग नियमों को संशोधित किया गया है. लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता के कारण पूर्ववत व्यवस्थाएं बरकरार रखी गई हैं. सरकार ने पहले ऐसे 30 प्रतिशत तक के अवैध निर्माणों को वैध बनाने की अनुमति दी थी. हालांकि, पिछली वैधीकरण अवधि (validation period) समाप्त हो चुकी थी और मांग की जा रही थी कि उन लोगों के लिए एक और अवसर प्रदान किया जाए जिनका निमार्ण वैध नहीं हो पाया. जिसके बाद  सीएम मोहन यादव ने नगर विकास एवं आवास विभाग को इस अवसर को सीमित समय के लिए बढ़ाने का निर्देश दिया. नतीजतन, विभाग द्वारा मध्य प्रदेश नगर पालिका (अनुज्ञा के बिना भवनों के संनिर्माण के अपराधों का प्रशमन, शुल्क एवं शर्त) नियम 2016 में संशोधन किया गया है.


क्या कहते हैं नए नियम?
बता दें कि नए नियमों के तहत, 10% से 30% के बीच अनधिकृत निर्माण (unauthorized construction) को वैध किया जा सकता है. वैधता के लिए, मालिकों को उस क्षेत्र के लिए कलेक्टर द्वारा निर्धारित बाजार मूल्य के 12% (आवासीय) या 18% (व्यावसायिक) के बराबर शुल्क का भुगतान करना होगा. बता दें कि यह नियम केवल 1 जनवरी, 2021 से पहले जारी भवन परमिट के तहत निर्मित भवनों पर लागू होता है.


यह पहल महत्वपूर्ण है क्योंकि मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में इमारतें हैं जो बिल्डिंग परमिट नियमों का उल्लंघन करती हैं. भोपाल में अकेले, 450,000 से अधिक संपत्तियां हैं, जिनमें से 80% ने निर्माण के दौरान नियमों का पालन नहीं किया है. नगर निगम इन संपत्तियों की पहचान कर चुका है और 31 मई से सीमांकन अभियान शुरू कर रहा है.  साथ ही इस पहल से नगर निगमों की आय में वृद्धि होगी है. पिछले कंपाउंडिंग अभियान से भोपाल नगर निगम को 100 करोड़ रुपये की आय हुई थी.