आकाश द्विवेदी/भोपाल। मध्य प्रदेश में अब दुष्कर्मी 14 साल तक नहीं बल्कि आखिरी सांस तक जेल में रहेंगे. प्रदेश की आजीवन करावास नीति में बदलाव के तहत यह फैसला लिया गया है. अब प्रदेश में जघन्य अपराध करने वाले सभी अपराधियों को पूरे जीवन जेल में ही रहना होगा. 10 राज्यों की नीतियों के अध्ययन के बाद यह पॉलिसी तैयार की गई है. 


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इन अपराधों में आखिरी सांस तक जेल में रहेंगे अपराधी 
एमपी में आजीवन कारावास के लिए प्रस्तावित नीति 2022 में नए प्रावधान के तहत अब जघन्य अपराधों में उम्रकैद की अवधि 14 साल का प्रावधान खत्म होगा, अब जघन्य अपराधों में अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा. अब बच्चियों के साथ रेप, सामूहिक दुष्कर्म, जहरीली शराब बनाने वाले, विदेशी मुद्रा से जुड़े अपराध या फिर दो या उससे ज्यादा गंभीर अपराध के सभी आरोपी इस मामले में शामिल किए जाएंगे. इसके अलावा आतंकियों और नशीले पदार्थों के अवैध कारोबारियों को अब आखिरी सांस तक जेल में रहना होगा.


इन अपराधियों में सरकारी नौकरी के दौरान हत्या या अन्य कोई गंभीर अपराध करने वाले अपराधी भी शामिल होंगे. इसी तरह सेना के किसी भी विभाग से संबंधित अपराध करने वाले अपराधी पर भी यही नियम लागू होगा. दरअसल, गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधि विभाग की समीक्षा बैठक की थी, जिसमें यह फैसला लिया गया है. बता दें कि अभी प्रदेश में साल-2012 में बनी नीति ही लागू थी, लेकिन अब नई नीति-2022 लागू होगी. 


हालांकि जिन आजीवन कारावास के बंदियों को 14 साल या 20 साल की वास्तविक सजा के बाद रिहाई की पात्रता बनेगी, वह भी तभी रिहा होंगे जब कलेक्टर, एसपी और जिला प्रोसीक्यूशन आफिसर की अनुशंसा होगी और जेल मुख्यालय द्वारा उक्त अनुशंसा के आधार पर राज्य सरकार को भेजा जाएगा और जिसमें राज्य सरकार की स्वीकृति होगी. तभी उनकी रिहाई हो सकेगी. 


साल में केवल 4 बार होगी कैदियों की रिहाई 
नई नीति के तहत साल में चार बार हो सकेगी रिहाई, अब 15 अगस्त, 26 जनवरी, 14 अप्रैल और 2 अक्टूबर को नवीन नीति के प्रावधान तथा जिला स्तरीय समिति एवं जेल मुख्यालय की अनुशंसा पर राज्य सरकार की अनुमति से की जाएगी रिहाई. 


नई नीति पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आजीवन कारावास के ऐसे बंदी जो अच्छे व्यवहार, आचरण के चलते समय से पहले रिहाई का लाभ उठाते थे, वे अलग श्रेणी के हैं लेकिन आतंकी और बलात्कारी अलग ही श्रेणी के अपराधी होते हैं. रेप के मामले में किसी भी तरह की स्थिति में कैदियों को समय से पहले रिहाई नहीं मिलनी चाहिए. ऐसे अपराधी समाज के विरोधी है. इनको कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए.