इंदौर में महालक्ष्मी का 191 साल पुराना मंदिर, दो स्वरूप में विराजमान है मां, सोने-चांदी से होता है विशेष श्रृंगार
MP news-इंदौर के राजवाड़ा में दिवाली पर एक मंदिर है जो 24 घंटे खुला रहता है. दिवाली के दिन इस मंदिर में विशेष श्रृंगार किया जाता है. जानिए इस मंदिर के इतिहास और मान्यताओं के बारे में.
Madhya pradesh news-मध्यप्रदेश में कई ऐतिहासिक और पुराने मंदिर है, ऐसा ही इंदौर के राजवाड़ा में स्थित महालक्ष्मी मंदिर है. यह मंदिर 191 साल पुराना है, साल भर इस मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. भक्त अपनी मनोकामना लेकर मंदिर में दर्शन करने पहुंचते है. इस मंदिर मे दिवाली के दिन पूजा करने का विशेष महत्व है.
मान्यता है कि इस मंदिर में दीपावली के दर्शन करने से सालभर घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. दिवाली के दिन लोग यहां मां को पीले चावल अर्पित कर घर पधारने का आमंत्रण देकर प्राचीन परंपरा को निभाते हैं.
मंदिर का इतिहास
मंदिर की स्थापना साल 1833 महाराजा हरि राव होलकर ने की थी. मंदिर की जगह पर यहां पहले मकान हुआ करता था. साल 1928 में यहां स्टेट बैंक की बिल्डिंग का निर्माण शुरु हुआ. 1930 में यह क्षतिग्रस्त होने से गिर गया था, इसके बाद 12 साल तक मां की प्रतिमा खुले आसमान में विराजित रही. इसके बाद साल 1941 इंदौर के देवी अहिल्या ट्रस्ट ने मंदिर का पुन: निर्माण कराया.
हर मनोकामना होती है पूरी
महालक्ष्मी मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है, भक्त संतान प्राप्ति, व्यापार वृद्धि सहित कई प्रकार की मन्नत लेकर मंदिर पहुंचते हैं. कहा जाता है कि मां महालक्ष्मी के आशीर्वाद से होलकर राजपरिवार को कभी धन की कमी नहीं हुई. मां महालक्ष्मी के दर्शन करने के बाद ही होलकर राजा खजाना खोलते थे. इस मंदिर में मां को कमल का फूल अर्पित करने की विशेष परंपरा है.
दिवाली पर होता है विशेष श्रृंगार
दीपावली के दिन दो बार मंदिर में विशेष श्रृंगार किया जाता है. इस दिन मां का 5 किलो सोना और 40 किलो चांदी से विशेष श्रृंगार किया जाता है. वहीं हर साल मंदिर में नए आभूषण अर्पित किए जाते हैं.