Zee पड़ताल:  मध्य प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों, सिविल अस्पताल, सामुदायिक और स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी (OPD) का समय बदल गया है. मरीजों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा हो इसके लिए ओपीडी के सयम में बढ़ोत्तरी की गई है. नए समय के अनुसार  ओपीडी अब सुबह नौ से दो बजे तक और शाम को पांच से छह बजे तक रहने का नियम है. लेकिन जब Zee मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की टीम ने प्रदेश के अलग-अलग शहरों में अस्पतालों पड़ताल की तो मामला कुछ और ही निकलकर सामने आया. क्योंकि कई अस्पतालों में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. 


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रतलाम जिला अस्पताल में सुबह 9 बजे पसरा सन्नाटा 
रतलाम जिला अस्पताल में मरीजो की परेशानियां कम नहीं हो रही है, कभी आकस्मिक चिकित्सा के वक्त डॉक्टर नदारद रहते हैं तो कभी ओपीडी में डॉक्टर नहीं मिलते, जिससे कई बार अस्पताल में हंगामें के हालात भी बन जाते हैं. जिला अस्पताल में सुबह 9 बजे डॉक्टर्स के ओपीडी में बैठेने का समय है, लेकिन 9 बजे यहां सन्नाटा पसरा रहता है डॉक्टर के केबिन खाली रहते है, 9 बजे इनमें सफाई शुरू होती है और सफाई के बाद डॉक्टर यहां आते हैं, वही मरीज 9 बजे से डॉक्टर के इंतजार में खड़े रहते हैं. जी एमपी सीजी की टीम जब अचानक 9 बजे जिला अस्पताल पहुंची तो जिला अस्पताल ओपीडी में डॉक्टर नदारद मिले, लेकिन जैसे ही मीडिया के ओपीडी में कवरेज की खबर डॉक्टर्स को लगी तो वे 9 बजकर 20 पर अपने चेम्बर में पहुंच गये. 


हालांकि मरीजो की माने तो यहां डॉक्टर्स समय पर नहीं मिलते, यदि डॉक्टर के समय पर नहीं मिलने का विरोध करें तो वह पुलिस कार्रवाई मरीज पर करने की बात करते है, ऐसे में कई मरीज अपनी परेशानी बताने में कतराते है, इसके अलावा मरीज बताते है कि आज भी जब मीडिया कवरेज के लिए आई तो सभी डॉक्टर ओपीडी में आये. इसके अलावा भी अस्पताल में कई और समस्या मिली, हालांकि वरिष्ठ डॉक्टरों का वहीं जवाब मिला जल्द ही व्यवस्थाएं ठीक करवा रहे हैं. 


मुरैना में भी हाल बेहाल 
रतलाम की तरह मुरैना में भी स्वास्थ्य सुविधाओं के हाल बेहाल मिले.मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जिला चिकित्सालय में मरीजों को समय पर बेहतर इलाज मिल सके इसके लिए समय का परिवर्तन किया गया है, लेकिन जब जी एमपी सीजी की टीम ने मुरैना जिला अस्पताल का रियलिटी टेस्ट किया तो ना तो वहां किसी प्रकार का टाइम का उल्लेख मिला और ना ही समय पर डॉक्टर उपलब्ध मिले, जबकि लंबी-लंबी कतारों में लगे मरीज 2 घंटे तक इंतजार करते रहे, जैसे ही जी मीडिया की टीम जिला चिकित्सालय के ओपीडी में पहुंची उसके बाद डॉक्टरों का आने का सिलसिला शुरू हो गया और मौके पर सिविल सर्जन पहुंचे. जब सिविल सर्जन से बात की और उनसे पूछा गया स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय का परिवर्तन जो किया गया है, वह समय जिला चिकित्सालय में क्यों नहीं लिखा गया तो उस पर उनका जवाब था हमने अखबार में समाचार छपवा दिया है. हमने कहा ग्रामीण इलाके से जब लोग आते हैं तो वह अखबार नहीं पढ़ते यहां पर टाइम का लिखा होना जरूरी है तो उन्होंने कहा कि हम यहां समय लिखवा देंगे. 


राजगढ़ में भी समय से नहीं खुल रही OPD 
मध्य प्रदेश के एक और जिले राजगढ़ में भी हालात कुछ इसी तरह के नजर आए. मरीज सुबह 9 बजे अस्पताल पहुंच जाते हैं और घंटो तक डाक्टरों का इंतजार करते हैं, लेकिन डाक्टर चेंबर में नहीं आते हैं और ना ही ओपीडी में समय पर बैठते हैं. जिसके कारण मरीज और उनके परिजन परेशान होकर इधर उधर भटकते रहते हैं. जब इस मामले में मरीज और उनके परिजनों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि ना तो डॉक्टर कभी समय पर राउंड पर आते हैं और कभी न कभी समय पर OPD में डॉक्टर मिलते है, घंटो तक उनको डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ता हैं. वहीं जब इस मुद्दे पर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर राजेंद्र कटारिया से बात की गई तो उनका कहना था कि डॉक्टर समय पर आते हैं राउंड भी करते हैं बाकी जो डॉक्टर समय पर नहीं आ रहा है उनकी जांच करवाई जाएगी, जबकि हमारी पड़ताल में डॉक्टर राउंड पर थे ही नहीं. 


मंदसौर में भी उड़ रही नियमों की धज्जियां
मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तरह मंदसौर में भी नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं,मरीजों की सुविधा के लिए शासन ने ओपीडी का समय सुबह 9 बजे 00 से दोपहर 2 बजे 00 बजे तक का किया है, मरीज तो सुबह 9:00 बजे ही पहुंच जाते हैं लेकिन अधिकतर चैंबर्स में डॉक्टर नदारद रहते हैं जिसके चलते मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की टीम ने जब ओपीडी में मरीजों को मिल रही सुविधाओं का रियलिटी चेक किया तो डॉक्टर समय से ओपीडी में नहीं पहुंचे थे.डॉक्टर्स के अधिकतर चेंबर खाली मिले मरीज पर्चा लेकर इधर-उधर भटकते हुए दिखाई दिए यहां तक की काउंटर पर रहने वाला है स्टॉफ भी नदारद मिला. यानि डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचे. 


डॉक्टरों के समय से OPD में नहीं पहुंचने से सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना मरीजों को करना पड़ रहा है, जबकि जो मरीज ग्रामीण इलाकों से आते हैं, उनके लिए समय से इलाज नहीं मिल पाने की वजह से और भी परेशानियां बढ़ जाती हैं.