MP News: विदिशा (Vidisha Latest News) जिले के उदयपुर का नील कंठेश्वर महादेव मंदिर भक्तों को आकर्षित करता है, जबकि आसपास के आदिवासी गांव अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और सड़क, पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं से जूझते हैं. बता दें कि एक बार फिर प्रशासन की पोल खुल गई है. ग्राम खोंखला में राकेश आदिवासी की मृत्यु हो जाने पर कमर तक भरे नाले में से ग्रामीणों ने अर्थी निकाली और बरसते पानी में बड़ी मुश्किल से टीन शैड के अभाव में अंतिम संस्कार किया.


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जानें पूरा मामला?
दरअसल, गंज बासौदा तहसील से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पुरातत्व नगरी उदयपुर में प्राचीन नील कंठेश्वर महादेव मंदिर स्थित है. जहां दूर-दूर से भक्त महादेव के दर्शन करने आते हैं और इसी उदयपुर पंचायत के मजरा टोला कहे जाने वाले पहाड़ी ग्राम खोंखला में राकेश आदिवासी की मृत्यु हो जाने पर कमर तक भरे नाले में से ग्रामीणों ने अर्थी निकाली और बरसते पानी में बड़ी मुश्किल से टीन शैड के अभाव में अंतिम संस्कार किया. इससे पहले इसी तहसील के ग्राम पंचायत महागौर में भी टीन शेड के अभाव में ग्रामीणों ने चद्दर के अंतिम संस्कार किया था. 


गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित
आदिवासी बाहुल्य इस ग्राम की आबादी 300 के आसपास है. उदयपुर से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस ग्राम के लोग सड़क, पानी, बिजली आदि बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. इनको स्वास्थ्य, शिक्षा या अन्य कार्य के लिए पहाड़ी और नाले को पार करना पड़ता है. ग्रामवासियों ने बताया कि टीन शैड के अभाव में अंतिम संस्कार करने के लिए वर्षा काल में बारिश थमने तक का इंतजार करना पड़ता है. ग्राम पंचायत के सचिव कोमल प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि वन ग्राम होने के कारण पंचायत द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जाता. इस संबंध में जनपद सीईओ ने बताया कि सैड का निर्माण क्यों नहीं हो पाया इसकी जानकारी नहीं है मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है घर पर हूं. ऑफिस जाते ही बताएंगे.


रिपोर्ट: दीपेश शाह (विदिशा)