MP News: मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा को लेकर एक दो दिन से प्रदेश में सियासी हलचल देखने को मिल रही है. राहुल गांधी यात्रा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर से एमपी में एंट्री करने वाली है, बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा को राहुल की यात्रा के लिए कमलनाथ ने बुरहानपुर और खंडवा जिले का प्रभारी बनाया है. शेरा यह भी कह चुके हैं कि अगर राहुल गांधी चाहेंगे तो वह यात्रा के दौरान कांग्रेस भी ज्वाइन कर लेंगे. लेकिन बुरहानपुर और खंडवा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का गृहक्षेत्र भी है, वह यहां से सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन यादव और शेरा के बीच सियासी अदावत देखने को मिलती है. ऐसे में शेरा को जिम्मेदारी मिलने से प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म था. लेकिन आज कमलनाथ अरुण यादव एक साथ तीन जिलों के दौरे पर पहुंचे लेकिन यहां वह साथ रहकर भी दूर दिखे. 


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कमलनाथ अरुण यादव साथ रहकर भी दिखे दूर
दरअसल, कमलनाथ, अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह एक साथ भोपाल से खंडवा पहुंचे, लेकिन जैसे ही तीनों नेता हेलीकॉप्टर से उतरे तो अरुण यादव और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए अलग चलते दिखे, जबकि कमलनाथ अलग चल रहे थे और स्थानीय कार्यकर्ता और नेता उनका स्वागत कर रहे थे. खास बात यह रही खंडवा में मंच पर भी अरुण यादव नजर नहीं आए.  ऐसे में दोनों नेताओं की यह तस्वीरें प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. हालांकि तीनों नेताओं ने सभी जिलों का दौरा एक साथ ही किया, 


क्या सुरेंद्र सिंह शेरा हैं वजह?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कही इसकी वजह निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा तो नहीं है. क्योंकि बुरहानपुर में सुरेंद्र सिंह शेरा हर वक्त कमलनाथ के साथ नजर आए और तैयारियों को लेकर पूरी तरह से एक्टिव नजर आए. क्योंकि शेरा और यादव के बीच सियासी अदावत पहले भी कई बार देखने को मिल चुकी है. हालांकि आज कमलनाथ ने कहा कि वह और अरुण यादव साथ में भोपाल से आए है. जबकि उन्होंने शेरा को लेकर भी बड़ा बयान दिया. 


अरुण यादव ने ही सुझाया शेरा का नाम: कमलनाथ 
हालांकि कमलनाथ ने कहा कि ''यात्रा के प्रभारी के लिए अरुण यादव ने ही सुरेंद्र सिंह शेरा ने का नाम सुझाया था. क्योंकि वह स्थानीय विधायक है, कमलनाथ ने शेरा को लेकर कहा कि वह निर्दलीय है मगर उनके परिवार से कांग्रेस के सांसद और विधायक रहे हैं, शेरा का मन, मस्तिष्क और आत्मा कांग्रेस के साथ है.'' लेकिन सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि भले ही दोनों नेता साथ रहे लेकिन दोनों ने एक साथ मीडिया से बातचीत नहीं की, कमलनाथ ने ही मीडिया से बात की जबकि अरुण यादव पूरी तरह मीडिया से दूर नजर आए. 


अरुण यादव और शेरा में रही है सियासी अदावत 
दरअसल, कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव और निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा के बीच राजनीतिक अदावत रही है. 2019 में खंडवा लोकसभा चुनाव के दौरान भी शेरा ने अरुण यादव के खिलाफ अपनी पत्नी को निर्दलीय उतारने का ऐलान किया था, लेकिन बाद में उन्होंने ऐसा नहीं किया. लेकिन जब खंडवा में उपचुनाव हुआ तो फिर शेरा अरुण यादव के टिकट में रोड़ा बने थे, इसी के चलते अरुण यादव ने खंडवा उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था. वहीं अब शेरा की एंट्री से अरुण यादव का पार्टी के साथ-साथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी उनकी जिम्मेदारी कम हुई है. 


कांग्रेस में रह चुके हैं शेरा 
बता दें कि सुरेंद्र सिंह शेरा पहले भी कांग्रेस में रहे हैं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय बुरहानपुर से चुनाव लड़े और जीते थे. हालांकि बाद में जब कमलनाथ सरकार बनी थी तो शेरा ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया था. जबकि अब उनकी कांग्रेस में एंट्री होने वाली है. Zee मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से खास बातचीत करते हुए सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा कि ''मेरे अंदर कांग्रेस का डीएनए है, अगर राहुल गांधी चाहेंगे तो पद यात्रा के दौरान कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर लूंगा और 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट भी मांगूगा.'' शेरा के इस बायन के बाद प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है.