MP News: मध्य प्रदेश में आज शस्त्र पूजा हो रहा है, सीएम मोहन यादव से लेकर प्रदेश सरकार के डिप्टी सीएम और कैबिनेट मंत्री विधि विधान से शस्त्र पूजन कर रहे हैं,सुबह से ही इसकी रौनक देखी जा रही है,  हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि शस्त्र पूजन 1857 की क्रांति के दौरान प्रदेश के इस जिले में साधु संतों के द्वारा किया गया था, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.


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मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि ग्वालियर के गंगादास की शाला में साधु संतों ने 1857 की क्रांति के अस्त्र-शस्त्र का पूजन किया, परम्परा के तहत संतों ने मुगल सम्राट अकबर के द्वारा तत्कालीन महंत को उपहार में दी गयी तोप से धमाका कर सन्तो को सलामी भी दी गयी.


बताते चलें कि गंगा दास की बड़ी शाला वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई बाई की शहादत के लिए जानी जाती है,यह साधु संतों का काफी प्राचीन अखाड़ा है जहां 1857 की क्रांति में भाग लेने वाले साधु संतों के वह अस्त्र-शस्त्र रखे हैं. जिसके जरिये वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के प्राणों को बचाने सन्तो ने अंग्रेजो से मुकाबला किया था, दशहरे के दिन इन अस्त्र-शस्त्र का विधि पूर्वक पूजन अर्चन किया जाता है.


साधु संतों ने अस्त्र-शस्त्र का पूजन किया और फिर परंपरा के तहत तोप चलकर शस्त्रों को सलामी दी, आपको बता दें कि यह तोप करीब 400 साल पुरानी है, गंगा दास की शाला के तत्कालीन महंत परमानंद जी महाराज को अकबर ने ये तोप भेंट की थी, 1857 की क्रांति के दौरान साधु संतों ने रानी लक्ष्मीबाई की रक्षा के लिए अंग्रेजों से युद्ध लड़ा था उस दौरान इस तोप का इस्तेमाल अंग्रेजों के खिलाफ किया गया था, करीब 745 साधु संतों ने अपना बलिदान दिया था,  यहीं पर रानी लक्ष्मीबाई की शहादत हुई थी, आज इस जगह रानी लक्ष्मीबाई की समाधि भी बनी है.


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