MP निकाय चुनाव से 2023 पर निशाना, क्या शिवराज और कमलनाथ ही होंगे चेहरा!
मध्य प्रदेश में हो रहे नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान आज हो रहा है, लेकिन इन चुनावों के जरिए 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के समीकरण साधे गए हैं. जिसके केंद्र में सीएम शिवराज और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ही नजर आए हैं.
भोपाल। मध्य प्रदेश में लंबे इंतजार के बाद हो रहे नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में आज 133 नगरीय निकायों में वोटिंग की जा रही है. इन चुनावों को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में बीजेपी कांग्रेस इन चुनावों में पूरा जोर लगाती नजर आई, क्योंकि निकाय चुनाव में जिस पार्टी पलड़ा भारी होगा 2023 का चुनाव उसके लिए उतना ही आसान होगा. खास बात यह है कि इस चुनाव में बीजेपी के सीएम शिवराज और कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ने पूरा जोर लगाया है.
पहले चरण में इन जिलों में हो रहा मतदान
एमपी निकाय चुनाव के पहले चरण में 16 नगर निगम में से 11 के लिए आज मतदान हो रहा है, जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खंडवा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, उज्जैन, सागर, सिंगरौली और सतना नगर निगम शामिल हैं. पहले चरण में 44 जिलों के 11 नगर निगम, 36 नगरपालिका परिषद और 86 नगर परिषदों में मतदान, जिसके लिए 13 हजार 148 मतदान केंद्र बनाये गए. 11 नगर निगमों कुल 101 महापौर पद के प्रत्याशी मैदान हैं.
अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले यहां जीत हासिल कर दोनों ही पार्टियां अपने लिए माहौल तैयार करने में जुटी है, यही वजह रही कि भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झौंक दी, बीजेपी की तरफ से सीएम शिवराज से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक ने मोर्चा संभाला तो कमलनाथ भी अपनी टीम के साथ पूरी ताकत लगाते नजर आए. इस चुनावी प्रचार की खास बात यह रही कि पूरी चुनाव सीएम शिवराज और कमलनाथ के इर्द-गिर्द ही रहा.
2023 में सीएम शिवराज और कमलनाथ ही चेहरा
मध्य प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस तरह से निकाय चुनाव में बीजेपी की तरफ से सीएम शिवराज और कांग्रेस की तरफ से कमलनाथ ने प्रचार किया, उससे यह बात अब स्पष्ट हो गई है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में ये दो चेहरे ही मुख्य रुप से चुनाव में होंगे. भले ही निकाय चुनाव का परिणाम ऊपर नीचे नजर आए. क्योंकि बीजेपी में तमात दिग्गजों के बीच सीएम शिवराज ने जिस तरह से खुद को प्रचार में झोका उससे वह एक बार फिर मध्य प्रदेश के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभकर कर सामने आए. तो इसी तरह कमलनाथ भी सरकार गिरने के बाद कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बने हुए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी 16 नगर निगम तक पहुंच चुके हैं. तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भी 11 नगर निगमों में दौड़ लगाई. कांग्रेस में सभी टिकट कमलनाथ ने अपने हिसाब से बांटे तो बीजेपी के टिकट वितरण में भी सीएम शिवराज ही भारी नजर आए.
माहौल तैयार करने में जुटे दोनों नेता
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि जिस तरह से दोनों नेताओं ने निकाय चुनाव में प्रचार किया है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले यहां जीत हासिल कर दोनों ही नेता अपने लिए माहौल तैयार करने में जुटे हैं. क्योंकि दोनों नेताओं ने अपने-अपने प्रत्याशियों के लिए बारिश के मौसम में भी जमकर पसीना बहाया.
सीएम शिवराज ने रोज दो से तीन नगर निगम कवर किए, वह सुबह सात बजे से ही देर रात तक सभाएं लेते रहे, खास बात यह है कि पहले चरण के मतदान से पहले ही उन्होंने दूसरे चरण वाले निगमों में भी एक बार दस्तक दे दी है. पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन में आठ जनसभाएं की है. वहीं बात अगर कमलनाथ की जाए तो वह भी प्रचार में पीछे नहीं रहे. वह हर दिन एक या दो निगम में पहुंचे. अपने गढ़ छिंदवाड़ा पर इतना ज्यादा जोर है कि यहां तीन बार जा चुके हैं. सोमवार को सारा दिन भोपाल में रहे. यहां पर रोड शो करने के साथ ही सभाएं की. यानि कमलनाथ भी आखिरी तक डटे रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जहां रोड-शो, जनसभा से लेकर नुक्कड़ सभा तक की तो कमलनाथ का फोकस बड़ी सभा और रोड शो पर रहा.
2023 में शिवराज वर्सेस कमलनाथ !
दरअसल, 2023 में होने वाला विधानसभा चुनाव जहां सीएम शिवराज के लिए भी अब तक की सबसे कठिन चुनौती भरा चुनाव माना जा रहा है, तो अपने राजनीतिक जीवन में यह चुनाव कमलनाथ के लिए भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. क्योंकि दोनों ही नेताओं की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर है. ऐसे में निकाय चुनाव के जरिए दोनों ने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है. भाजपा के प्रचार में केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री अपने ही इलाकों में फंस गए, ऐसे में शिवराज ने आगे आकर मोर्चा संभाला, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी अपने जिलों वाले नगरीय निकायों में ही डटे रहे. ऐसे में भी कमलनाथ ने ही लीड किया. यानि दोनों नेता ही निकाय के चुनावी चेहरे बने. ऐसे में 2023 में भी अब यही चेहरे चुनावी चेहरे माने जा रहे हैं.
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